पोरबंदर सीट: बाबु बोखरिया vs अर्जुन मोढवाडिया

अहमदाबाद: गुजरात में बीजेपी पिछले 22 वर्षों से सत्ता में है. सूबे की राजनीति में बीजेपी का दबदबा रहा है. कांग्रेस इस बार वापसी के लिए काफी जोर लगा रही है. उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. गुजरात में पटेल, दलित और मुस्लिम समेत समाज के कई बड़े तबके बीजेपी से नाराज बताए जा रहे हैं. उधर, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी गुजरात में डेरा जमाए हुए हैं. कांग्रेस बहुत ही आक्रामक ढंग से इस बार चुनाव लड़ रही है. शायद यही वजह है कि बीजेपी के कद्दावर मंत्री बाबु बोखरिया के खिलाफ पोरबंदर सीट ने पार्टी ने अपने कद्दावर नेता अर्जुन मोढवाडिया को उतारा है. मोढवाडिया पिछला चुनाव हार गए थे. पोरबंदर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र गुजरात विधानसभा में सीट नंबर 83 है.

कुछ ऐसा रहा है पोरबंदर सीट का इतिहास
1995 में पोरबंदर सीट पर बाबुभाई भीमाभाई बोखरिया ने कांग्रेस के शशिकांत आनंदलाल को शिकस्त दी थी. 1998 में भी अपना इस सीट पर कब्जा जमाए रखा और कांग्रेस के उम्मीदवार श्याल हीरालाल गगन को मात दी. हालांकि, 2002 के चुनाव में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा. ये शिकस्त कांग्रेस की ओर से प्रत्याशी बनाए गए अर्जुन मोढवाडिया ने दी थी. 2007 में भी अर्जुन मोढवाडिया ने इस सीट को बरकरार रखा. हालांकि, 2012 में बाबूभाई बोखरिया ने वापसी करके अपनी सीट पाई और मंत्री भी बने.

एक साल जेल भी काट चुके हैं बोखरिया 

बाबुभाई बोखरिया ने 1995 में अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा था. वह गुजरात सरकार में जल संसाधन मंत्री हैं. बोखरिया चूना पत्थर के अवैध खनन के मामले में आरोपी हैं और 2013 में एक साल जेल भी काट चुके हैं. उधर, अर्जुन मोधवाडिया (60)- गुजरात मैरीटाइम बोर्ड के पूर्व इंजीनियर अर्जुन 1997 में राजनीति में आए. साल 2002 में उन्होंने पोरबंदर से पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और बीजेपी के वरिष्ठ नेता बाबु बोखरिया को हराया. साल 2004 से 2007 तक वो गुजरात विधान सभा में विपक्ष के नेता रहे. साल 2007 में उन्होंने दोबारा पोरबंदर सीट से जीत हासिल की. साल 2011 में उन्हें गुजरात कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया. साल 2012 में अर्जुन को बाबु बोखरिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. 2012 में यहां बोखरिया ने कांग्रेस के उम्मीदवार अर्जुन मोढवाडिया को 17 हजार वोटों से हराया था. मोढवाडिया यहां पहले दो बार विधायक रह चुके हैं और कांग्रेस के एक बड़े नेता माने जाते हैं. छवि भी साफ सुथरी है.

मुकाबले पर प्रतिक्रिया देते हुए बोखरिया ने कहा, “जब तक अर्जुन भाई और मैं राजनीति में सक्रिय है, ऐसा लगता है कि हम एकदूसरे के खिलाफ आते रहेंगे. यह दिखाता है कि एक दूसरे के प्रति हमारा प्रेम कितना गहरा है.” अर्जुन तीसरी बार बाबुभाई के सामने हैं. बोखरिया ने दावा किया है कि वे फिर से चुनाव जीत जाएंगे क्योंकि अपने कार्यकाल में कई विकास कार्य करवाए हैं. उनका कहना है कि उन्होंने अमूल के तर्ज पर पोरबंदर में सुदामा डेयरी खुलवाई है. उधर, मोढवाडिया अपने चुनाव प्रचार में भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर बोखरिया के खिलाफ दर्ज मुकदमों को उछाल रहे हैं.

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