फिच ने भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.9% किया

नई दिल्ली: फिच रेटिंग्स ने भारत की जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को 7.4 प्रतिशत से घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया है. चालू वित्त वर्ष 2017-18 की अप्रैल-जून तिमाही में आर्थिक वृद्धि में उल्लेखनीय गिरावट के बाद फिच रेटिंग्स ने यह अनुमान घटाया है. हालांकि, साख रेटिंग एजेंसी ने कहा कि वित्त वर्ष की दूसरी छमाही से आर्थिक गतिविधियों में तेजी की उम्मीद है. वर्ष 2016 के नवंबर में नोटबंदी और इस साल जुलाई में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के प्रभाव समेत अन्य कारणों से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं. फिच रेटिंग्स ने अपने ताजा वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में कहा है, ‘‘बैंकों की बढ़ी हुई गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के कारण ऋण वृद्धि और व्यापार निवेश के लिये परिदृश्य कमजोर बना हुआ है.’’ इससे पहले, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने निजी खपत, विनिर्माण और निवेश में कमजोर रुख के कारण पिछले महीने देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि दर के अनुमान को 7.4 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया था. भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2016-17 में 7.1 प्रतिशत रही थी.

फिच रेटिंग्स ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में इस साल सुधार हुआ है और 2010 के बाद यह तीव्र वृद्धि की ओर अग्रसर है. उसने कहा कि भारत की जीडीपी वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 5.7 प्रतिशत रही जो पिछले साल के इसी अवधि में 6.1 प्रतिशत से कम है. 2013 की शुरुआत से यह सबसे कमजोर वृद्धि है. जीडीपी वृद्धि दर लगातार पांच तिमाहियों से नीचे जा रही है.

फिच ने कहा कि जीएसटी क्रियान्वयन से पहले कंपनियों के पुराना माल निकाले जाने के कारण संभवत: पहली तिमाही में आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ा. इस दौरान विनिर्माण क्षेत्र में सालाना आधार पर केवल 1.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई. प्राथमिक क्षेत्र में भी वृद्धि दर धीमी रही. हालांकि निर्माण और सेवा क्षेत्र में तेजी लौटी. रेटिंग एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधियों में तेजी की उम्मीद जतायी है. उसने कहा कि खपत बढ़ने से वृद्धि में तेजी आनी चाहिए.

‘2027 तक भारत की जीडीपी 6,000 अरब डॉलर होने की उम्मीद’

डिजिटलीकरण, अनुकूल जनसांख्यिकी, वैश्वीकरण और सुधारों के चलते आने वाले दशक में भारत दुनिया की सबसे बड़ी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होगी. वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने यह संभावना जतायी है.मॉर्गन स्टेनली के एक शोध नोट के अनुसार भारत की वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि का रुख लगातार आगे बढ़ने वाला रहा है. 1990 के दशक में यह 5.8% रहा जो 2000 के दशक में बढ़कर 6.9% हो गया. इसी तरह अगले दशक में भी इसके बेहतर रहने की संभावना है.

कंपनी का मानना है कि डिजिटलीकरण से जीडीपी वृद्धि को 0.5 से 0.75 प्रतिशत की बढ़त मिलेगी और अनुमान है कि 2026-27 तक भारत की अर्थव्यवस्था 6,000 अरब डॉलर की हो जाएगी. उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर तीन साल के निचले स्तर पर आकर 5.7% रही है. इसके पीछे अहम कारण नोटबंदी की वजह से विनिर्माण गतिविधियों का दबाव में रहना है.

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