संयुक्त राष्ट्र: भारत ने कहा है कि मामूली फेरबदल से संयुक्त राष्ट्र परिषद में इस स्तर का सुधार नहीं होने वाला है जिससे यह निकाय ‘चरमराते और अस्थिर’ विश्व द्वारा खड़ी चुनौतियों का मुकाबला कर सके. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि दुनियाभर में सशस्त्र संघर्ष के चरम स्तरों और बर्बरता के कारण बड़ी संख्या में लागों के पलायन की वजह से व्याकुलता पैदा हुई है और विश्व में उथलपुथल की स्थिति है. उन्होंने कहा कि परमाणु हथियार के खतरे , सशस्त्र संघर्ष और शरणार्थी संकट के बढ़ने से अधिक प्रभावी बहुपक्षीय सहयोग की जरूरत भी बढ़ गई है.
वार्षिक रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान भारत ने कहा
संयुक्त राष्टू के कार्य पर आई वार्षिक रिपोर्ट पर कल चर्चा के दौरान अकबरुद्दीन ने कहा, ‘‘वैश्विवक साझेदारी की भावना मूक बन गई लगती है. हमने परस्पर निर्भरता का समुदाय का निर्माण किया है, लेकिन हम अभी तक परस्पर विश्वास और सम्मान का समुदाय का निर्माण नहीं कर पाये हैं . खुद बहुपक्षवाद बीते दिनों की बात बनती प्रतीत हो रहा है .’’ भारत और कई दूसरे देशों का यह मानना है कि संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद का मौजूदा स्वरूप 21वीं सदी की जमीनी यथार्थ को परिलक्षित नहीं करता है.
भारतीय प्रतिनिधि ने कहा, ‘‘सभी के लिए स्थायी शांति और समृद्धि का रास्ता तलाशने के लिए भारत संयुक्त राष्ट्र महासचिव और सदस्यों के साथ मिलकर काम करने को तैयार है.’’