- 1. खांसी-जुकाम में फायदेमंद- सर्दी के मौसम में व्यक्ति को कई बीमारियों का खतरा रहता है, जिसमें खांसी, जुकाम सबसे आम हैं. ठंड में अक्सर लोगों को खांसी- जुकाम की समस्या सताती है. ऐसे में मिश्री के पाउडर में काली मिर्च का पाउडर और घी मिलाकर पेस्ट बना लें और रात के समय इसका सेवन करें. इसके अलावा मिश्री और काली मिर्च के पाउडर का सेवन गुनगुने पानी के साथ करने से भी खांसी में आराम मिलता है.
2. हीमोग्लोबिन के स्तर को बेहतर करता है- शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर कम होने से खून की कमी होती है, बिना कुछ किए थकान महसूस होती है, कमजोरी का एहसास होता है, कई लोगों को चक्कर भी आते हैं, तो वहीं खून की कमी के कारण कुछ लोगों की रंगत पीली पड़ जाती है. लेकिन मिश्री में इन सभी समस्याओं का समाधान छुपा है. नियमित तौर पर मिश्री का सेवन करने से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर तो बढ़ता ही है साथ ही ब्लड सर्कुलेशन भी सही बना रहता है.
3. डाइजेशन बेहतर करती है- मिश्री का सेवन सौंफ के साथ करने से डाइजेस्टिव सिस्टम बेहतर होता है. इसमें डाइजेस्टिव गुण मौजूद होते हैं, जिससे खाना जल्दी और आसानी से डाइजेस्ट हो जाता है. इसलिए खाना खाने के बाद मिश्री का सेवन जरूर करें.
4. एनर्जी बूस्टर- मुंह का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ मिश्री के सेवन से शरीर को एनर्जी भी मिलती है. सौंफ के साथ मिश्री का सेवन करने से मूड भी अच्छा रहता है.
5. नाक से खून आने की समस्या को दूर करता है- कई लोगों को नाक से खून आने की समस्या होती है. मिश्री से तुंरत ही नाक से खून आना बंद हो जाता है. हालांकि, यह समस्या गर्मी के मौसम में होती है.
मिश्री और शक्कर में फर्क क्या है?
जहां तक बात शक्कर और मिश्री की निर्माण प्रक्रिया की है तो इन दोनों के दाने गन्ने के रस के संतृप्त या सैचुरैटड मिश्रण से बनते हैं। वैसे तो इन्हें बनाने का तरीका लगभग समान ही है।
मिश्री बनाने के लिए/ बडा रवा बनाने के लिए गन्ने के रस के अति संतृप्त अवस्था (super saturated) मे कुछ चीनी के बडे रवे या कुछ मिश्री डाल दिये जाते हैं, या तो धीमें आंच पर गर्म करते हैं जब तक मिश्री बनना न शुरू हो जाय, या
आजकल उबलता अति संतृप्त गन्ना रस और मिश्री भी थरमस मे डालकर छह आठ घंटे छोड दिया जाता है
चीनी या शक्कर बनाने के लिए गन्ने के रस के अति संतृप्त अवस्था में बडा रवा या मिश्री डालने की जरूरत नहीं है, सिर्फ धीमें आंच पर गर्म करते रहने की जरूरत है, धीरे धीरे चीनी का रवा उभरता है
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क्या डायबिटीक्स के लिए मिश्री अच्छी है?
शायद आपको हमारी बात पर भरोसा न हो लेकिन शक्कर को किसी भी रुप में अधिक मात्रा में खाने से सेहत पर बुरा असर पड़ता है। चूंकि मिश्री भी शक्कर का एक रुप है, आपको इसका सेवन करते हुए भी सावधानी बरतनी चाहिए। हालांकि मिश्री का चिकित्सा संबंधी उपयोग का प्रमाण मिलता रहा है और पूर्व में कुछ रोगों के उपचार के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता रहा है, लेकिन मिश्री कितनी मात्रा में ली जा सकती है, इसे लेकर विवाद बना हुआ है।
शक्कर को रसायनशास्त्र में सुक्रोज़ कहा जाता है। इसमें ग्लूकोज़ और फ्रूक्टोज़ होते हैं और इसका ग्लिसमिक इंडेक्स 65 होता है। दूसरी तरफ मिश्री का ग्लिसमिक इंडेक्स भी इतना ही है। आर्टफिशियल मीठे का ग्लिसमिक इंडेक्स शून्य होता है, लेकिन उनके सेवन से कई साइड-इफेक्ट्स भी होते हैं।
यही नहीं, खून में ग्लूकोज़ की मात्रा खाने में केवल कार्बोहाइड्रेट की मात्रा और उसके प्रकार पर निर्भर नहीं करती है। बल्कि आप कार्बोहाइड्रेट के साथ कितनी मात्रा में फैट या प्रोटीन लेते हैं उसपर भी निर्धारित होती है। इसलिए अगर आपके भोजन में अधिक ग्लिसमिक इंडेक्स वाले कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक है तो बेहतर यही होगा कि आप उस दिन आप शक्कर से बनी चीज़ें कम खाएं। इस तरह आपका ग्लूकोज़ लेवल कंट्रोल हो जाएगा।
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