वॉशिंगटन: अमेरिका ने कहा है कि म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हिंसा ‘नस्ली संहार’ है. अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने कहा कि इन अत्याचारों को किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता. उन्होंने हिंसा के लिए म्यांमार की सेना और स्थानीय तत्वों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए. अमेरिकी सांसद और अधिकार समूह ट्रंप प्रशासन से आग्रह करते रहे हैं कि म्यांमार में हिंसा को नस्ली संहार घोषित किया जाए. म्यांमार के रखाइन प्रांत में हिंसा के कारण छह लाख से अधिक रोहिंग्या भागकर बांग्लादेश में शरण ले चुके हैं.
इससे पहले एमनेस्टी इंटरनेशनल ने रोहिंग्या संकट की मुख्य वजह की जांच करनेवाली एक रिपोर्ट में कहा कि म्यांमार रोहिंग्या मुस्लिमों के साथ नस्लभेदी व्यवहार कर रहा है. म्यांमार में पैदा हुए रोहिंग्या संकट की वजह से 6,20,000 रोहिंग्या मुस्लिम अपना देश छोड़कर बांग्लादेश चले गए हैं. मंगलवार (21 नवंबर) को प्रकाशित एमनेस्टी की रिपोर्ट में वर्षों के अत्याचार को मौजूदा संकट की वजह बताया गया है. एमनेस्टी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राज्य प्रायोजित इस अभियान ने रोहिंग्या मुस्लिमों की जिंदगी के हर पक्षों को दमघोंटू बना दिया है. मुख्य रूप से बौद्ध समुदाय वाले इस देश में उनकी जिंदगी ‘बंदीगृह’ में रहने जैसी हो गई है.
संगठन की 100 पन्नों वाली यह रिपोर्ट दो साल में तैयार की गई है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ जिस तरह का अत्याचार किया गया है वह ‘मानवता के खिलाफ नस्लभेदी अपराध’ के कानूनी दायरे में आता है. एमनेस्टी की वरिष्ठ शोध निदेशक अन्ना निस्टेट ने कहा, ‘रखाइन एक अपराध स्थल है. पिछले तीन महीने में सेना द्वारा चलाए गए हिंसक अभियान के पहले से चल रहा यह पुराना मामला है.’ उन्होंने कहा, ‘म्यांमार के अधिकारियों ने रोहिंग्या महिलाओं, पुरुषों और बच्चों को अलग-अलग कर दिया है और यह अमानवीय नस्लभेदी स्थिति है.’