नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि सूखे की समस्या से स्थायी निजात पाने के लिए सरकार 5 साल में 50 हजार करोड़ रुपये निवेश करेगी. भारत में विश्व की आबादी की 17 प्रतिशत जनसंख्या तथा 11.3 प्रतिशत पशुधन निवास करते हैं, जबकि अपने देश में विश्व का मात्र 4 प्रतिशत जल संसाधन उपलब्ध है. ऐसे में लोगों तथा पशुधन को पानी की आपूर्ति करने की अभूतपूर्व चुनौती है. सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) का उद्देश्य न केवल सुनिश्चित सिंचाई हेतु स्रोतों का सृजन करना है, बल्कि ‘जल संचय’ और ‘जल सिंचन’ के माध्यम से सूक्ष्म स्तर पर वर्षा जल का उपयोग करके संरक्षित सिंचाई का भी सृजन करना है. यह बात उन्होंने शनिवार (14 अक्टूबर) को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित भारत जल सप्ताह-2017 के समापन सत्र में कही. समापन सत्र में कार्यक्रम का मुख्य विषय वस्तु था ‘समावेशी विकास के लिए जल एवं ऊर्जा’.
कृषि मंत्री ने कहा कि देश में कुल 20.08 करोड़ हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है जिसमें से मात्र 9.58 करोड़ हेक्टेयर भूमि सिंचित है जो कि कुल क्षेत्रफल का केवल 48 प्रतिशत है, अत: 52 फीसदी असिंचित कृषि भूमि में उन्नत कृषि अपनाने हेतु आवश्यक जल की आपूर्ति कराना भी चुनौतीपूर्ण होगा. समुचित जल प्रबंधन करके ही इस चुनौती का सामना करना संभव है.
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कृषि मंत्री ने कहा कि 2015-16 से 2019-20 के दौरान 50,000 करोड़ रुपये निवेश कर संपूर्ण सिंचाई आपूर्ति श्रृंखला, जल संसाधन, वितरण नेटवर्क और खेत-स्तरीय अनुप्रयोग समाधान विकसित करके ‘हर खेत को पानी’ उपलब्ध कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि वर्ष 2016-17 में सूखा निरोधन उपायों के लिए 520.90 करोड़ रुपये की राशि राज्यों को जारी की गई. अब तक 56,226 जल संचयन संरचनाएं और 1,13,976 हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता सृजित की गई. 675 जिला सिंचाई योजनाएं तैयार की गई हैं.
उन्होंने जानकारी दी कि ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ घटक के अंतर्गत सूक्ष्म सिंचाई के लिए वित्त वर्ष 2011-14 के दौरान राज्यों को कुल 3699.45 करोड़ रुपये जारी किए गए थे और सूक्ष्म सिंचाई के अधीन 16.14 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को लाया गया था. वहीं, वित्त वर्ष 2014-17 के दौरान राज्यों को कुल 4509 करोड़ रुपये जारी किए गए और सूक्ष्म सिंचाई के अधीन 18.38 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को लाया गया है जो कि अब तक का सर्वाधिक क्षेत्र है.