अस्थायी शिविरों में रहेंगे रोहिंग्या

ढाका: बांग्लादेश और म्यांमार के बीच रोहिंग्या शरणार्थियों को स्वदेश भेजने के लिये समझौते के बाद म्यांमार लौटे रोहिंग्या शरणार्थियों को शुरुआत में अस्थायी आश्रयगृह या शिविरों में रहना होगा. बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए एच महमूद अली ने ढाका में संवाददाताओं से कहा कि शुरुआत में उन्हें अस्थायी आश्रय गृहों में रखा जाएगा. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार अगस्त से 620000 रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश चले गए थे और म्यांमार में सैन्य कार्रवाई के बाद अब दुनिया के सबसे बड़े शरणार्थी शिविर में रह रहे हैं.

बांग्लादेश और म्यांमार ने गुरुवार (23 नवंबर) को शरणार्थियों को उनके देश भेजने संबंधी समझौते पर हस्ताक्षर किए. यह रोहिंग्या शरणार्थियों को जल्द से जल्द उनके देश वापस भेजने का रास्ता साफ करेगा. समझौते के तहत म्यांमार उत्तरी राखाइन प्रांत में सामान्य स्थिति बहाल करेगा और म्यांमार गए लोगों से सुरक्षित तरीके से अपने घर लौटने या अपनी पसंद के सर्वाधिक निकटतम सुरक्षित स्थान पर लौटने के लिये प्रोत्साहित करेगा.

समझौते के अनुसार, ‘‘म्यांमार इस बात को देखने के लिये हरसंभव कदम उठाएगा कि लौटने वाले लोगों को लंबे समय तक अस्थायी स्थान पर नहीं रहना पड़े और राखाइन प्रांत में उन्हें आवाजाही की स्वतंत्रता को मौजूदा कानूनों और नियमनों के अनुरूप दी जाएगी.’’ अली ने कहा कि हिंसा के दौरान ज्यादातर रोहिंग्या गांवों को जला दिया गया था. इसलिये कई लोगों के पास अस्थायी आश्रय गृहों में रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.

उन्होंने कहा, ‘‘ज्यादातर गांव जला दिये गए. इसलिये वे कहां लौटेंगे? कोई मकान नहीं है. वे कहां रहेंगे? अपने घरों में लौटना संभव नहीं है.’’ संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थियों की संस्था ने कल समझौते को लेकर चिंता जताते हुए कहा था, ‘‘फिलहाल म्यांमार के राखाइन प्रांत में स्थिति सुरक्षित और टिकाऊ वापसी के लायक नहीं है.’’

इससे पहले मानवाधिकारों की रक्षा से संबंधित कार्य से जुड़ा संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) ने रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी के लिए म्यांमार और बांग्लादेश के बीच समझौते को ‘हास्यास्पद’ बताते हुए शुक्रवार (24 नवंबर) को इसे खारिज कर दिया. एचआरडब्ल्यू के बिल फ्रेलिक ने कहा, “छह लाख 20 हजार रोहिंग्या शरणार्थियों का पलायन सामुदायिक उत्पीड़न की घटनाओं के कारण हुआ है, जोकि हाल के दिनों में घटित होने वाला एक अत्यंत बर्बर मामला है. अब इन घटनाओं की सुलगती आग के बीच बांग्लादेश जो लोगों की वापसी की बात करता है वह हास्यास्पद है.”

समाचार एजेंसी एफे के मुताबिक, बांग्लादेश और म्यांमार ने एक आशय ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत बलवाई समूह के हमले और म्यांमारी सेना की ओर से जवाबी कार्रवाई के बाद 25 अगस्त से म्यांमार से विस्थापित हुए लोगों की वापसी का रास्ता खुलता है. म्यांमार की स्टेट काउंसलर और नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सू की के कार्यालय की तरफ से कहा गया है कि ज्ञापन में राखिने से विस्थापित लोगों की विधिवत जांच व उनकी वापसी के लिए आम मार्गदर्शक सिद्धांत व नीतियों की व्यवस्था शामिल है.

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