संयुक्त राष्ट्र: अमेरिका ने रविवार (3 दिसंबर) को कहा कि वह आव्रजन पर बने वैश्विक समझौते से बाहर हो चुका है. इस कदम के पीछे उसने यह तर्क दिया है कि ओबामा शासन में संयुक्त राष्ट्र के साथ किए गए इस समझौते के कई प्रावधान इसके आव्रजन एवं शरणार्थी नीतियों तथा ट्रंप प्रशासन के आव्रजन सिद्धांतों के “परस्पर विरोधी” हैं. संयुक्त राष्ट्र के लिए अमेरिकी मिशन ने एक बयान में कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप ने निश्चय किया है कि अमेरिका इस समझौते की प्रक्रिया में अपनी सहभागिता को खत्म करेगा रहा है जिसका लक्ष्य वर्ष 2018 में संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय सर्वसम्मति हासिल करना है.” इससे पहले अमेरिकी मिशन ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव को आव्रजन पर बने वैश्विक समझौते में सहभागिता समाप्त करने के अमेरिकी फैसले से अवगत कराया.
बयान में कहा गया, “न्यूयॉर्क घोषणा पत्र में कई ऐसे प्रावधान हैं जो अमेरिकी आव्रजन और शरणार्थी नीतियों एवं ट्रंप प्रशासन के आव्रजन सिद्धांतो के साथ असंगत हैं.” समझौते की इस प्रक्रिया में अमेरिका की सहभागिता वर्ष 2016 में शुरू हुई थी. संयुक्त राष्ट्र के लिए अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने कहा कि अमेरिका को अपनी आव्रजन संपदा और विश्व भर के शरणार्थियों व प्रवासियों को सहायता मुहैया कराने के अपने नैतिक नेतृत्व पर गर्व है.
उन्होंने कहा कि अमेरिका से ज्यादा किसी भी देश ने ऐसा नहीं किया और उसकी यह उदारता जारी रहेगी. उन्होंने कहा, “लेकिन आव्रजन नीतियों पर हमारे फैसले सिर्फ और सिर्फ अमेरिकियों द्वारा लिए जाने चाहिए. यह निर्णय हमारा होगा कि हम अपनी सीमाओं को बेहतर ढंग से कैसे नियंत्रित करेंगे और हमारे देश में प्रवेश के लिए किन्हें अनुमति देंगे. न्यू यॉर्क घोषणापत्र का वैश्विक दृष्टिकोण अमेरिकी प्रभुत्व के अनुकूल नहीं है.” ट्रंप के शासन में अमेरिका ने कई वैश्विक प्रतिबद्धताओं से खुद को अलग किया है. इनमें संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक और शिक्षण इकाई, यूनेस्को और पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते से खुद को बाहर कर लेना शामिल है.