इलाहाबाद में 7 वर्षीय मासूम संग रेप के बाद हत्या करने की घटना को विरल से विरलतम घटना मानते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फांसी की सजा को बरकरार रखा है। अभियुक्त पप्पू को सत्र न्यायालय पड़रौना, कुशीनगर ने आठ दिसंबर 2016 को फांसी की सजा सुनाई थी।
हाईकोर्ट ने सजा के रेफरेंस और अपील दोनों पर सुनवाई करते हुए कहा कि ऐसे कुकृत्य में अपराधी को फांसी की सजा देने से समाज में गहरा असर पडे़गा तथा अपराध करने वालों का मनोबल गिरेगा।
अपील पर न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता और न्यायमूर्ति प्रभात चंद्र त्रिपाठी की खंडपीठ ने सुनवाई की। निर्णय सुनाते हुए न्यायमूर्ति पीसी त्रिपाठी ने कहा कि सात साल की बच्ची को 35 साल के युवक द्वारा फुसलाकर सुनसान में ले जाकर रेप करना और फिर उसकी हत्या कर शव छिपा देना क्रूरतम अपराध है। ऐसे अपराधों में कड़ी से कड़ी सजा ही दी जानी चाहिए।
प्रकरण कुशीनगर के गांव सबाखास थाना कसया का है। बच्ची की मां ने चार मई 2015 को थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसकी सात वर्षीय बेटी गांव के अपनी ही उम्र के बच्चों के साथ घर के बाहर खेल रही थी।
पड़ोस के गांव का पप्पू उसे लीची तोड़ने के बहाने अपने साथ लिवा गया। साथ खेल रहे अन्य बच्चों को टॉफी देकर उसने वहीं रुकने के लिए मना लिया। सुनसान स्थान पर ले जाकर बच्ची से रेप किया और फिर हत्या कर लाश दूर ले जाकर फेंक आया।
बच्ची के देर रात तक घर न आने पर उसकी तलाश शुरू हुई। अन्य बच्चों ने बताया कि पप्पू उसे साथ लिपा गया था। पप्पू अपने घर से गायब था। पुलिस ने शव बरामद कर अभियुक्त को गिरफ्तार किया। सत्र न्यायालय ने विचारण शीघ्रता से पूरा किया और आठ दिसंबर 2016 को अभियुक्त पप्पू को फांसी की सजा सुनाई। जिसे हाईकोर्ट ने बरकरार रखा।