उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा, अर्थव्यवस्था-जीएसटी पर चर्चा लोकतंत्र के लिए सही

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने शुक्रवार (6 अक्टूबर) को कहा कि अर्थव्यवस्था और जीएसटी पर चर्चा जारी रहनी चाहिए और वर्तमान सरकार को चर्चा में सकारात्मक और अहम बिंदुओं का परीक्षण कर सुधार के उपाय करना चाहिए. नायडू ने रेलवे एवं मेट्रो परियोजनाओं में प्रौद्योगिकी उन्नयन पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में अपने संबोधन में कहा कि अर्थव्यवस्था तथा वस्तु एवं सेवा कर पर विचार विमर्श लोकतंत्र के लिए अच्छा है. उन्होंने कहा, ‘‘देश, उसकी अर्थव्यवस्था और जीएसटी एवं उनके प्रभावों आदि के बारे में भी चर्चा चल रही है. यह चर्चा होने दीजिए. यह हमेशा लोकतंत्र के लिए अच्छा है.’’

उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोगों को समझना चाहिए कि किसी भी बदलाव या किसी भी सुधार के रास्ते में शुरुआत में कुछ रुकावटें, कुछ मुश्किलें आती ही हैं. उन्होंने कहा, ‘‘आखिरकार, प्रधानमंत्री के सुधार, कार्य निष्पादन एवं बदलाव के मंत्र का कुछ मतलब है.’’ उन्होंने कहा कि जीएसटी भारत का अबतक का सबसे बड़ा क्रांतिकारी कर सुधार है. नायडू ने कहा कि आठ लाख करोड़ रुपये का योजनाबद्ध निवेश, रेल बुनियादी ढांचे में एफडीआई का खुलना, जीएसटी और प्रौद्योगिकी का क्रियान्वयन, प्रबंधकीय कौशल से भारतीय रेल में नयी विकास राह खुलेगी.

खबरों का हवाला देते हुए नायडू ने कहा कि विश्व बैंक एवं बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भी जीएसटी पर मुहर लगा दी है और भारतीयों की भावी पीढ़ियां इस कर सुधार से खुश होंगी. जीएसटी पर राजनीतिक बहस भी होने देना चाहिए तथा सरकार को सकारात्मक एवं अहम बिंदुओं का संज्ञान लेना चाहिए तथा उस हिसाब से जरुरी सुधार करना चाहिए.

उन्होंने रेलवे के संदर्भ में कहा, ‘‘उसे दूरदृष्टा और कुशल होना होगा तथा ऐसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां अपनानी होंगी जो हमारे देश की जनता की आकांक्षाएं पूरी करें. इस संदर्भ में यह सम्मेलन समयोजित है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें सभी के लिए खुशहाल विश्व के निर्माण के लिए नियमित आधार पर ज्ञान यज्ञ यानी विचारों का मंथन एवं सृजनशील विचारों को साझा करना, जारी रखना चाहिए.

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