कॉरपोरेट सेक्टर में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और स्कैम से निजात दिलाने के लिए दोबारा सत्ता में आई मोदी सरकार कुछ बड़ा कदम उठा सकती है. नए सिस्टम के तहत कंपनी बोर्ड्स के इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स को नियुक्ति से पहले परीक्षा पास करनी होगी.
कॉरपोरेट सेक्टर में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और स्कैम से निजात दिलाने के लिए दोबारा सत्ता में आई मोदी सरकार कुछ बड़ा कदम उठा सकती है. नरेंद्र मोदी सरकार कॉरपोरेट गवर्नेंस सिस्टम में बदलाव की संभावनाएं तलाश रही है. नए सिस्टम के तहत कंपनी बोर्ड्स के इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स को नियुक्ति से पहले परीक्षा पास करनी होगी.
कंपनी के डायरेक्टर्स को देनी होगी परीक्षा
मिंट के मुताबिक, कंपनियों के इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स को नियुक्त करने से पहले उन्हें परीक्षा देनी होगी. कॉरपोरेट अफेयर्स के टॉप ब्यूरोक्रैट इनचार्ज इनजेती श्रीनिवास ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि सरकार डेलॉइट हैस्किंस एंड सेल्स पर भी पाबंदी लगाना चाहती है क्योंकि यह कंपनी की गड़बड़ियों को पकड़ने में नाकाम रही.
कॉर्पोरेट सेक्टर में कई घोटाले आए सामने
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि इंडिया के वॉचडॉग की निगरानी कौन करेगा? पिछले एक साल के दौरान इंडिया में कई स्कैम हुए हैं. ज्वैलर्स को लोन देने वाले सरकारी बैंक को 2 अरब डॉलर का चूना लगा है. वहीं NBFC सेक्टर में क्राइसिस आई और कई अरबपति दिवालिया हो गए. जानकारों का कहना है कि कंपनी के कामकाज पर निगरानी रखने वाले इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स को ये घोटाले होने से पहले इन मामलों का पता होना चाहिए.