ढाका: भारत ने बुधवार को बांग्लादेश के साथ 4.5 अरब डॉलर की ऋण सुविधा (एलओसी) के लिए करार पर दस्तखत किए. बांग्लादेश इस कर्ज का इस्तेमाल अपने बुनियादी ढांचे और सामाजिक क्षेत्र के विकास पर करेगा. माना जा रहा है कि बांग्लादेश को ऋण सुविधा उपलब्ध कराकर भारत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभुत्व पर अंकुश लगाना चाहता है. इस ऋण सुविधा की घोषणा बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की अप्रैल में भारत यात्रा के दौरान की गई थी. यह भारत द्वारा किसी देश को प्रदान की गई सबसे बड़ी ऋण सुविधा है.
इस करार पर वित्त मंत्री अरुण जेटली और उनके बांग्लादेशी समकक्ष ए एम ए मुहित की मौजूदगी में दस्तखत किए गए. इससे पहले दोनों नेताओं के बीच व्यापक विचार विमर्श हुआ.
बांग्लादेश की ओर से इस करार पर आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव काजी शोफिकुल आजम और भारत की ओर से एक्जिम बैंक के प्रबंध निदेशक डेविड रासक्विहा ने दस्तखत किए. भारत की ओर से इस भारी भरकम 4.5 अरब डॉलर की ऋण सुविधा का इस्तेमाल बांग्लादेश में 17 बड़ी परियोजनाओं के वित्तपोषण में किया जाएगा. इनमें बिजली, रेल सड़क, जहाजरानी और बंदरगाह क्षेत्र की परियोजनाएं शामिल हैं.
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पिछले एलओसी करारों की तरह बांग्लादेश को इस पर एक प्रतिशत सालाना का ब्याज देना होगा. बांग्लादेश को यह कर्ज 20 साल में लौटाना होगा. उसके पास पांच साल की अतिरिक्त अवधि भी होगी. जेटली ने इस करार पर दस्तखत के बाद कहा कि पिछले सात साल में सामाजिक आर्थिक मोर्चे पर बांग्लादेश ने उल्लेखनीय प्रगति की है.
जेटली ने करार पर दस्तखत के बाद कहा, ‘‘हमने हाल के वर्षों में बांग्लादेश को आठ अरब डॉलर की तीन ऋण सुविधाएं दी हैं. यह भारत द्वारा किसी देश को दी गई सबसे बड़ी ऋण सुविधा है. यह कर्ज बेहद रियायती ब्याज दर पर दिया गया है.’’ वित्त मंत्री ने कहा कि हम विकास के मामले में हमेशा बांग्लादेश के साथ खड़े रहे हैं और भविष्य में भी ऐसा ही करेंगे. यह उल्लेखनीय करार हमारे इन्हीं प्रयासों का हिस्सा है.
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इस मौके पर बांग्लादेश के वित्त मंत्री मुहित ने कहा कि इस समय बांग्लादेश और भारत के संबंध काफी शानदार हैं. ‘‘हमारी आजादी के समय वे हमारे साथ खड़े थे. हमें उम्मीद है कि भविष्य में भी वे ऐसा ही करते रहेंगे.’’ चीन के बाद भारत, बांग्लादेश का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. पिछले साल चीन ने बांग्लादेश को 24 अरब डॉलर का ऋण देने की प्रतिबद्धता जताई थी.