नई दिल्ली: जिन “पाटीदारों” पर राजनीति कर हार्दिक पटेल एक के बाद झटका बीजेपी को देते रहे हैं, अब गुजरात चुनावों से ठीक हार्दिक पटेल को कभी उन्ही के साथ खड़े पाटीदार एक के बाद एक झटका दे रहे हैं. गुजरात चुनाव में जहां कांग्रेस पाटीदारों को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रही है.
वहीं गुजरात चुनावों से पहले ही पाटीदारों के बीच दरार पड़ती दिखाई दे रही है. इसमें कोई दो राय नहीं की पिछले कुछ दिनों में हार्दिक पटेल का कांग्रेस की ओर झुकाव रहा है. उनकी समिति और कांग्रेस के बीच बैठक भी हुई. कांग्रेस ने कई वादे भी किये लेकिन “आरक्षण” पर बेनतीजा रही.
इस बीच पाटीदारों का एक खेमा “पाटीदार आर्गेनाइजेशन” जिसमे पाटीदारों के 6 अलग अलग संगठन मौजूद है उन्होंने अहमदाबाद में प्रेस कांफ्रेंस कर हार्दिक पर ही वार बोल दिया है. पाटीदार आर्गेनाइजेशन ने हार्दिक पटेल पर आरोप लगाया कि वे आरक्षण की राह से भटक गए है और अब केवल उनका निजी स्वार्थ देखा जा रहा है. इस मुद्दे पर हार्दिक पटेल केवल अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहे हैं.
आपको बतादें कि “पाटीदार आर्गेनाइजेशन कमिटी” में उमिया माताजी संस्थान (उंझा), खोडलधाम (कागवद, राजकोट), विश्व उमिया फाउंडेशन (अहमदाबाद), समस्त पाटीदार समाज (सूरत), उमिया माताजी मंदिर (सिदसर), सरदारधाम (अहमदाबाद) शामिल है.
इन संगठनों ने कहा कि हार्दिक पटेल आरक्षण की लड़ाई से भटककर, निजी स्वार्थ पर आ गए हैं. हार्दिक पटेल आंदोलनकारियों को गुमराह न करें और राजनीतिक रोटियां न सेके.
पाटीदार आर्गेनाइजेशन ने हार्दिक पटेल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और कहा कि अब वे हर गाँव में खाट परिषद् आयोजित करेंगे और समाज के लोगों को जागरूक करेंगे.
साफ़ है ये झटका न सिर्फ हार्दिक पटेल को बल्कि राहुल गाँधी को भी मिला है. गुजरात चुनाव में जहां कांग्रेस पाटीदारों को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रही है. वहीं गुजरात चुनावों से पहले ही पाटीदारों के बीच दरार पड़ती दिखाई दे रही है. पाटीदार कांग्रेस और बीजेपी को समर्थन देने को लेकर दो धडों में बंटते नजर आ रहे हैं.
राजनीतिक जानकार भी मानते है कि हार्दिक के पास पाटीदारों का साथ जो हुआ करता था अब धीरे धीरे वो काम होता जा रहा है. पाटीदार समुदाय में पुरानी पीढ़ी के लोग अब भी बीजेपी के ही समर्थक माने जाते हैं और युवा भी अब आपस में बंटते दिख रहे हैं.
राज्य में किसी भी पार्टी के लिए सत्ता में आने के लिए पाटीदारों का वोटबैंक काफी मायने रखता है. पाटीदार गुजरात में 15 फीसदी है औऱ इस 15 फीसदी पाटीदारों में 60% लेउवा (पटेल) है और 40% कड़वा (पटेल) है. बीजेपी के पास 182 में से 44 पाटीदार विधायक है. पाटीदारों की भूमिका इसलिए भी अहम हो जाती है क्योंकि 2 दशक से बीजेपी को सत्ता में रखने में पाटीदारों की अहम भूमिका रही है.
इससे पहले पाटीदार आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय संयोजक अश्विन पटेल ने भी कहा था कि कांग्रेस से उनकी मांगों के पूरा होने की उम्मीद कम है. लंबे समय के इंतजार के बाद भी मांगों पर विचार नहीं किया गया इसलिए बीजेपी से बातचीत करके मांगों पर हल जरुर निकाल सकते हैं.