मुंबई: डूबा कर्ज ऐतिहासिक रूप से ऊंचे स्तर पर पहुंचने के बीच भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नए चेयरमैन रजनीश कुमार ने एक विभाग का गठन किया है जिसके प्रमुख प्रबंध निदेशक होंगे. यह विभाग विशेष रूप से गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के मुद्दे को देखेगा. देश के सबसे बड़े बैंक को बेहतर तरीके से संचालित करने के लिए शीर्ष और मध्यम प्रबंधन स्तर पर फेरबदल किया जा रहा है. कुमार ने पिछले शनिवार (7 अक्टूबर) को एसबीआई के 25वें चेयरमैन के रूप में पदभार संभाला था. उनका कार्यकाल तीन साल का होगा. कुमार ने कई कारोबारी विभागों में फेरबदल किया है. इन विभागों के प्रमुख पूर्णकालिक निदेशक हैं.
कुमार ने सात अक्तूबर को एक आंतरिक पत्र में कहा कि सक्षम प्राधिकरण ने बैंक के शीर्ष सांगठनिक ढांचे के पुनर्गठन का फैसला किया है. इसका मकसद दक्ष नियंत्रण को बढ़ाना है. साथ ही इसका उद्देश्य घरेलू कारोबार और परिचालन का विस्तार, बेहतर तालमेल और एनपीए की वसूली के लिए अधिक बेहतर तरीके से प्रयास करना है. बढ़ती गैर निष्पादित आस्तियों के मद्देनजर कुमार ने दबाव वाली संपत्ति के निपटान समूह के रूप में एक नया विभाग बनाया है जिसके प्रमुख प्रबंध निदेशक होंगे. अभी तक इस विभाग की अगुवाई करने वाले प्रबंध निदेशक का नाम घोषित नहीं किया गया है.
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जून में समाप्त तिमाही में एसबीआई का सकल एनपीए 7.40 प्रतिशत से बढ़कर 9.97 प्रतिशत पर पहुंच गया. वहीं शुद्ध एनपीए 4.36 प्रतिशत से बढ़कर 5.97 प्रतिशत हो गया. खुदरा एनपीए 1.56 प्रतिशत बढ़कर 7,632 करोड़ रुपये हो गया. वहीं कृषि क्षेत्र का एनपीए 9.51 प्रतिशत बढ़कर 17,988 करोड़ रुपये हो गया.
फेरबदल के तहत बी श्रीराम को प्रबंध निदेशक (कॉर्पोरेट और वैश्विक बैंकिंग) बनाया गया है. अभी तक वह कॉर्पोरेट बैंकिंग समूह के प्रमुख थे. नए विभाग के लिए प्रबंध निदेशक की नियुक्ति तक श्रीराम एनपीए निपटान समूह विभाग का कामकाज भी देखेंगे.