देश के लिए एक बड़ी परेशानी-डॉलर के मुकाबले तेज़ी से गिरता रुपया

डॉलर के मुकाबले रुपये में जारी गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है. विशेषज्ञ जिस चीज की आशंका जता रहे थे, वह आख‍िर हो ही गया है. मंगलवार को रुपये ने डॉलर के मुकाबले पहली बार 70 का आंकड़ा पार कर लिया है.

मंगलवार को डॉलर के मुकाबले थोड़ी मजबूती के साथ 69.85 के स्तर पर शुरुआत करने के बाद रुपये में गिरावट फिर शुरू हो गई है. शुरुआती कारोबार में रुपया एक बार फिर कमजोर होना शुरू हो गया है. इसकी वजह से यह 70.07 पर पहुंच गया है.

बता दें कि सोमवार को रुपया डॉलर के मुकाबले बड़ी गिरावट के साथ बंद हुआ. सोमवार को रुपया 110 पैसे की भारी गिरावट के साथ 69.93 के स्तर पर बंद हुआ था. इससे पहले शुक्रवार को रुपया 68.83 के स्तर पर बंद हुआ. 3 सितंबर, 2013 के बाद रुपये में एक सिंगल सेशन में सबसे बड़ी गिरावट थी.

रुपये की कीमत अगर कमज़ोर होती है तो देश का व्यापार घाटा और करेंट अकाउंट घाटा (सीएडी) बढ़ेगा. विदेशी मुद्राओं के जरिए विदेशों से किया जाने वाला लेन-देन यानी करेंसी इनफ्लो-आउटफ्लो का अंतर भी बढ़ेगा. भारत लगभग 70 फीसदी तेल का आयात विदेशों से करता हैं और ऐसे में रुपये के मुकाबले बेहद मंहगे डॉलर में भुगतान करना भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा.

दरअसल रुपये में आ रही इस गिरावट के लिए तुर्की की मुद्रा में गिरावट जिम्मेदार है. तुर्किश लिरा में आ रही इस गिरावट ने डॉलर को मजबूती देने का काम किया है. इसका सीधा असर रुपये पर पड़ा है. इसके साथ ही ऐसी आशंका भी पैदा हो गई है कि कहीं तुर्की में पैदा हुआ आर्थ‍िक संकट वैश्व‍िक अर्थव्यवस्थाओं पर भी असर न डाले.

टेक्न‍िकल पैटर्न को देखें तो रुपया डॉलर के मुकाबले 71 का आंकड़ा छू सकता है. अगर ऐसा होता है, तो इससे भारतीय रिजर्व बैंक के सामने कई चुनौतियां खड़ी हो सकती है. ऐसे में वह रुपये को संभालने के लिए अहम कदम उठा सकता है.

जानकारों का कहना है कि भारत मैक्रो इकॉनमिक्स के बेसिक में बेहतर है. ये गिरावट अस्थाई है और तुर्की-अमेरिका का ताज़ा प्रकरण इसका बड़ा कारण है. भारत की ये आर्थिक स्थिति काबू में की जा सकती है

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