पटाखा बैन पर भड़के त्रिपुरा के गवर्नर, कहा- अवॉर्ड वापसी गैंग चिताओं पर भी डाल दे याचिका

दिल्ली-एनसीआर में इस दिवाली पर पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से प्रतिबंध लगाए जाने को लेकर सोशल मीडिया पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं व्यक्त की जा रही है. ऐसे में त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत रॉय का एक ट्वीट विवाद के घेरे में आ गया है.

मंगलवार को अपने ट्वीट में रॉय ने लिखा- ‘कभी दही हांडी, आज पटाखा, कल को हो सकता है कि प्रदूषण का हवाला देकर अवॉर्ड वापसी गैंग हिंदुओं की चिता जलाने पर भी याचिका डाल दे.’

कभी दही हांडी,आज पटाखा ,कल को हो सकता है प्रदूषण का हवाला देकर मोमबत्ती और अवार्ड वापसी गैंग हिंदुओ की चिता जलाने पर भी याचिका डाल दे !

कभी दही हांडी,आज पटाखा ,कल को हो सकता है प्रदूषण का हवाला देकर मोमबत्ती और अवार्ड वापसी गैंग हिंदुओ की चिता जलाने पर भी याचिका डाल दे !

इंडिया टुडे से फोन पर बातचीत में राज्यपाल ने साफ किया कि वो एक हिन्दू होने की वजह से सुप्रीम कोर्ट के आदेश से नाखुश हैं, क्योंकि ये समुदाय को उसके उत्सव से जुड़े एक अहम पहलू से वंचित करता है.

मालूम हो कि बीजेपी नेता से राज्यपाल बने तथागत रॉय को सोशल मीडिया पर कुछ मुद्दों पर उनके हार्ड-लाइन रुख के लिए जाना जाता है. हाल में उन्होंने रोहिंग्या के लिए ‘कचरा’ कहने वाला विवादित बयान दिया था.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर लेखक चेतन भगत ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नाखुशी जाहिर करते हुए पटाखों की बिक्री पर बैन लगाने को गैर-जरूरी बताया था. उन्होंने सवाल किया कि किस आधार पर किसी की परंपराओं पर बैन लगाया जा रहा है?

चेतन भगत ने एक ट्वीट में लिखा, ‘बिना पटाखों के बच्चों के लिए दिवाली का क्या मतलब है?’ लेखक ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का बैन परंपराओं पर चोट है. उन्होंने कहा कि बैन की जगह रेगुलेशन बेहतर विकल्प हो सकता था. चेतन भगत ने मामले में अपनी नाखुशी जाहिर करने के बाद प्रदूषण नियंत्रण करने के लिए कई सुझाव भी दिए थे.

उन्होंने कहा कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट की हालत सुधारना भी प्रदूषण पर लगाम लगाने का एक बढ़िया विकल्प हो सकता है. उन्होंने लिखा, ‘नए विचारों के साथ आइए, बैन के साथ नहीं.’ दिल्ली-एनसीआर की खराब आबो-हवा सुधारने के लिए चेतन ने एक हफ्ते के लिए बिजली और कारों का इस्तेमाल नहीं करने का भी सुझाव दिया.

भगत ने यह भी कहा था कि केवल हिंदुओं के त्योहार पर बैन क्यों लगाने की हिम्मत क्यों दिखाई जाती है? क्या जल्द ही बकरियों की बलि और मुहर्रम के खूनखराबे पर भी रोक लगेगी? जो लोग दिवाली जैसे त्योहारों में सुधार लाना चाहते हैं, मैं उनमें यही शिद्दत खून-खराबे से भरे त्योहारों को सुधारने के लिए भी देखना चाहता हूं.’

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