वॉशिंगटन: अमेरिकी कांग्रेस ने अफगानिस्तान में चलाए जा रहे अमेरिकी अभियानों को समर्थन देने के एवज में पाकिस्तान को गठबंधन सहायता निधि (सीएसएफ) से 70 करोड़ डॉलर की सहायता प्राप्त करने के लिए अधिकृत किया है. डॉन की रिपोर्ट में बताया गया कि इस प्राधिकार को 2018 के राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम (एनडीएए-2018) में सदन और सीनेट के संस्करणों में शामिल किया गया था, जिसे इस हफ्ते की शुरुआत में जारी किया गया.
इस समझौते वाले संस्करण में इसे शामिल किया गया है कि अमेरिका के रक्षा सचिव जिम मैटिस द्वारा प्रमाणित करने पर कि पाकिस्तान ने अपने यहां के हक्कानी नेटवर्क और लश्कर-ए-तैयबा के खिलाफ स्पष्ट कदम उठाए हैं, उसे 35 करोड़ डॉलर से लेकर 70 करोड़ डॉलर तक की सहायता मुहैया कराई जाएगी. एनडीएए ने अमेरिकी रक्षा विभाग से गुजारिश की है कि वह पाकिस्तान को दी जानेवाली सहायता पर नजर रखे कि कहीं उसका इस्तेमाल आतंकवादी समूहों की मदद के लिए न हो सके.
इस समझौता संस्करण में पाकिस्तान में विभिन्न राजनीतिक या धार्मिक समूहों के कथित उत्पीड़न पर चिंता व्यक्त की गई है, जिसमें ईसाई, हिन्दू, अहमदिया, बलोच, सिंधी और हजारा समुदाय शामिल हैं. इस विधेयक में मैटिस से गुजारिश की गई है कि वे सुनिश्चित करें कि पाकिस्तान अमेरिका द्वारा प्रदान की गई सहायता का उपयोग अल्पसंख्यक समूहों पर जुल्म करने में नहीं करेगा.
टोटो न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दौरान नाटो ने कहा है कि पड़ोसी देशों की मदद के बिना अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता लाना संभव नहीं है. नाटो के अफगानिस्तान में वरिष्ठ नागरिक प्रतिनिधि राजदूत कर्नेलियस जिमरमान ने कहा, “अफगानिस्तान में तब तक शांति नहीं आ सकती, जब तक हम उसमें अफगानिस्तान के पड़ोसियों को शामिल नहीं करेंगे.”
उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया करने वाले देशों की सूची में बुधवार (19 जुलाई) को पाकिस्तान को शामिल करते हुए कहा था कि ‘लश्कर ए तैयबा’ और ‘जैश ए मोहम्मद’ जैसे आतंकवादी संगठनों ने देश के अंदर 2016 में संचालित होना, प्रशिक्षण देना, संगठित होना और धन जुटाना जारी रखा. विदेश विभाग ने अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी अपनी सालाना ‘कंट्री रिपोर्ट ऑन टेररिज्म’ रिपोर्ट में कहा था कि पाकिस्तानी सेना और सुरक्षा बलों ने पाकिस्तान के अंदर हमले करने वाले तहरीक ए पाकिस्तान जैसे संगठनों के खिलाफ हमले किए.
विदेश विभाग ने कहा, ‘पाकिस्तान ने अफगान तालिबान या हक्कानी के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की, ना ही अफगानिस्तान में अमेरिकी हितों के लिए खतरा पेश करने वाली उनकी क्षमता सीमित की. हालांकि, पाकिस्तान ने अफगान नीत शांति प्रक्रिया में दोनों संगठनों को लाने की कोशिशों का समर्थन किया.’
रिपोर्ट में कहा गया था, ‘पाकिस्तान ने दूसरे देशों को निशाना बनाने वाले लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे संगठनों के खिलाफ 2016 में उपयुक्त कार्रवाई नहीं की. इन संगठनों ने पाकिस्तान में संचालित होना, प्रशिक्षण देना, संगठित होना और धन जुटाना जारी रखा.’ इसने कहा कि भारत पर हमले जारी हैं जिनमें माओवादियों और पाक आधारित आतंकवादियों के हमले शामिल हैं. इसने कहा कि भारतीय अधिकारियों ने जम्मू कश्मीर में सीमा पार से होने वाले हमलों के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराना जारी रखा है.