24 सितंबर यानी आज सोमवार से पितृपक्ष शुरू हो चुका है, इस दिन हिंदू धर्म में लोग अपने पूर्वजों की पिंड दान करते हैं. जिनके मृत्यु पूर्णिमा के दिन हुई होती है, पितृपक्ष के पहले दिन उनका पिंडदान किया जाता है. लेकिन पिंडदान से पहले ये पता होना जरूरी होता है कि कौन सा समय इस कार्य के लिए शुभ है.
नई दिल्ली: हिंदू धर्म में पितृपक्ष को लोग बहुत मानते हैं, इस दिन पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए लोग तर्पण करवाते हैं. तर्पण के साथ- साथ लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थमा भी करते हैं. भद्रपद के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा से श्राद्ध शुरू होता है, और आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या को खत्म हो जाता है. अमावस्या के दिन को यानी पितृपक्ष के आखिरी दिन को सर्वपित्रू अमावस्या कहते हैं. उन सभी लोगों का इस दिन पिंडदान किया जाता है, जिनके मृत्यु की तिथि के बारे में जानकारी नहीं होती है.
पूर्णिमा के दिन यानी पितृपक्ष के पहले दिन उन लोगों का पिंडदान किया जाता है, जिनकी पूर्णिमा के दिन मृत्यु हुई रहती है. 24 सितंबर यानी आज सोमवार से पितृपक्ष शुरू हो चुका है. पूर्णिमा के पहले दिन यानी पितृपक्ष के पहले दिन किस समय श्राद्ध करना सबसे शुभ रहेगा, इसके बारे में जान लेना बहुत जरूरी होता है.
2018 श्राद्ध: पहला दिन
तिथि- पूर्णिमा, सोमवार, 24 सितंबर
श्राद्ध करने का सही समय
कुतुप मुहूर्त: 11:48 से 12:36 तक
रौहिण मुहूर्त : 12:36 से 13:24 तक
अफराह्न काल : 13:24 से 15:48 तक