बैंकों का कर्ज सस्ता होने की संभावना कम

एचडीएफसी बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी का मानना है कि हाल फिलहाल बैंकों का कर्ज और सस्ता होने की संभावना कम हैं, क्योंकि बैंकों के पास सुलभ अतिरिक्त नकदी खत्म हो रही है.

बैंक के उप प्रबंध निदेशक परेश सुक्तांकर ने कहा कि जमा और कर्ज की दरें जितनी गिर सकती थी, करीब- करीब गिर चुकी है.  इनमें और कमी की गुंजाइश फिलहाल नहीं दिखती.

उन्होंने कहा, ‘‘रिजर्व बैंक की ओर से लगातार पेश की जा रही नीति की तरफ देखें. मुद्रास्फीति के मामले में जो हुआ है और तेल आदि को लेकर जो संभावनाएं दिख रही हैं उससे स्पष्ट है कि रिजर्व बैंक के लोग मानते हैं कि नीतिगत दृष्टि से ब्याज दर में और कटौती की एक तरह से कोई गुंजाइश नहीं बची है.’’ उन्होंने कहा कि बैंकों के पास अतिरिक्त धन धीरे- धीरे खत्म हो चुका है. जमा दर में भी कमी की संभावित गुंजाइश कम हुई है.

रिजर्व बैंक छह दिसंबर को द्वैमासिक मौद्रिक नीति जारी करेगा. इस समय रिजर्व बैंक की नीतिगत दर (रेपो दर) 6.00 प्रतिशत है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर अक्टूबर में 3.58 प्रतिशत हो गई, जबकि सितंबर में यह 3.28 प्रतिशत थी. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें भी प्रति बैरल 60 डॉलर से ऊपर चल रही हैं. मुद्रास्फीति बढ़ने के खतरे को देखते हुए रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक में नीतिगत दरों में कटौती की संभावना कम ही दिखती है.

 इस बीच उद्योग मंडल एसोचैम ने भी एक रिपोर्ट में कहा कि मुद्रास्फीति का दबाव रिजर्व बैंक के लिए चिंता का महत्वपूर्ण विषय है. ऐसे में नीतिगत ब्याज दर में कटौती की संभावना धूमिल हो गयी है.

रिजर्व बैंक के लिए मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के दायरे में रखने की जिम्मेदारी दी गई है. इसमें हद से हद दो प्रतिशत तक की घट-बढ़ की छूट हो सकती है.

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