बीजेपी का सहयोगी संगठन भारतीय मजदूर संघ सरकार की कुछ नीतियों को लेकर नाराज है. मजदूर संघ अपनी कुछ मांगों को लेकर आप सरकार के खिलाफ बिगुल बजाने का फैसला किया है. भारतीय मजदूर संघ ने 17 नवंबर को अपनी मांगों को लेकर संसद मार्च और रैली निकालने करने का फैसला किया है.
भारतीय मजदूर संघ ने देशभर से कार्यकर्ताओं को 17 नवंबर को दिल्ली में जुटने के लिए कहा है. खासतौर से मणिपुर, त्रिपुरा, तमिलनाडु, केरल, अंडमान-निकोबार आदि स्थानों से कार्यकर्ताओं को इस रैली में बुलाया गया है. भारतीय मजदूर संघ का कहना है कि इस रैली के माध्यम से हमारी कोशिश रहेगी केंद्र सरकार पर दबाव बनाना. जिससे कि सरकार श्रमिक क्षेत्र के प्रति अपने नजरिए और कार्यशैली में परिवर्तन लाए.
भारतीय मजदूर संघ का कहना है कि भारतीय मजदूर संघ की 44 औद्योगिक इकाइयां हैं और वह अपने- अपने मांग पत्र सरकार के सामने रखेंगे. जिसमें खासतौर से आंगनवाड़ी और दूसरे स्कीम वर्कर्स की लंबे समय से लंबित मांगों को हल करना होगा. सभी क्षेत्रों में समान कार्य के लिए समान वेतन का भुगतान करना. जीएसटी लागू होने के कारण बीड़ी कर्मचारी, निर्माण कर्मचारी से संबंधित श्रमिक कल्याण बोर्ड को सेस से मिलने वाली धनराशि का सरकार के द्वारा प्रावधान करना, सभी प्रकार के ठेका प्रथा को समाप्त करना.
भारतीय मजदूर संघ की मांग है कि सभी प्रकार के श्रमिकों, स्वरोजगार सहित चिकित्सा सुविधा और पेंशन सहित सभी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए. नीति आयोग में श्रमिक और किसान प्रतिनिधियों की नीति निर्धारण में भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए. श्रम सुधार कानून के नाम पर श्रमिकों के वैधानिक अधिकारों का हनन रोका जाना चाहिए.
प्रत्येक उद्योग और संस्थानों में न्यूनतम वेतन प्रत्येक स्तर पर दिया जाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए. असंगठित क्षेत्र में श्रमिक कल्याण बोर्ड के लिए फंड बढ़ाया जाना चाहिए. मनरेगा में श्रमिकों को कम से कम 200 दिन का रोजगार मिलना चाहिए. सार्वजनिक उपक्रम और वित्तीय संस्थानों की रक्षा किया जाना जरूरी है.