प्रधानमंत्री दफ़्तर यानी पीएमओ के सबसे भरोसेमंद जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) जगदीश ठक्कर का 72 साल की उम्र में निधन हो गया है.
ठक्कर लंबे समय से कैंसर से ज़िंदगी की जंग लड़ रहे थे. सितंबर महीने से उनका इलाज दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में चल रहा था.
प्रधानमंत्री मोदी ने ठक्कर के निधन पर ट्वीट कर शोक जताया है.
मोदी और ठक्कर का लंबा साथ
ठक्कर लंबे वक़्त से नरेंद्र मोदी के साथ काम कर रहे थे. जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब वे गुजरात के मुख्यमंत्री दफ़्तर में थे और बाद में साल 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर वो पीएमओ चले आए.
लगभग तीन दशक तक ठक्कर ने गुजरात के क़रीब 10 मुख्यमंत्रियों के साथ काम किया.
पीएम मोदी ने ठक्कर को याद करते हुए एक और ट्वीट किया है. मोदी ने ट्वीट में लिखा है, ”पिछले कई सालों से बहुत से पत्रकार जगदीश भाई के संपर्क में आए होंगे. उन्होंने गुजरात के बहुत से मुख्यमंत्रियों के साथ काम किया. हमने एक बेहतरीन इंसान को खो दिया, जो अपने काम से प्यार करते थे और उसे पूरी लगन से करते थे. उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं.”
व्यक्ति नहीं दफ़्तर को तरजीह
गुजरात के सीएमओ को कवर करने वाले पत्रकार लगभग रोजाना ही ठक्कर से मुलाक़ात करते थे. वे उन्हें एक ऐसे शख़्स के तौर पर याद करते हैं जो हमेशा बहुत सम्मान से मिलते थे, वे समाचारों की परख रखते थे और इस संबंध में पत्रकारों की मदद भी करते थे. खासतौर पर मुख्यमंत्री के बयानों से जुड़ी ख़बरों पर.
हालांकि, कुछ पत्रकार मानते हैं कि कई मौक़ों पर ठक्कर चुप रहने की कोशिश भी करते थे, विशेषतौर पर तब जब उन्हें आभास होता था कि पत्रकार किसी बात को सही तरीक़े से नहीं लिख रहे और इससे मुख्यमंत्री को नुक़सान हो सकता है.
इस तरह के मामलों में वे पत्रकार का हौसला नहीं तोड़ते थे, इसके बदले वे उस ख़ास मामले में पत्रकार को एक व्यापक परिपेक्ष्य देने की कोशिश करते थे.
माना जाता है कि ठक्कर अपने काम और दफ़्तर के प्रति ईमानदार थे. उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता था कि दफ़्तर में मौजूद मुख्यमंत्री किस पार्टी या विचार से है.
वे अपने आस-पास के लोगों से एक तय क़रीबी और उतनी ही उचित दूरी भी बनाकर रखते थे, फिर चाहे वे उनके साथ काम करने वाले सहयोगी हों, पत्रकार हों या खुद मुख्यमंत्री ही क्यों ना हों.
कई अवसरों पर वे मुख्यमंत्रियों से भिन्न मत रखने में भी नहीं कतराते थे.