यंगून: पोप फ्रांसिस ने म्यांमार में पहली बार कैथोलिक समुदाय की सार्वजनिक प्रार्थना में ‘क्षमा’ की सीख देते हुए लोगों से कहा कि वह पहुंचे दुखों के लिए बदला लेने की इच्छा से बचें. बौद्ध बहुलता वाले देश में पोप की यह पहली यात्रा और प्रार्थना सभा है. स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, यंगून के कायाइकसान मैदान में आयोजित इस प्रार्थना सभा में करीब 1,50,000 लोगों ने हिस्सा लिया. कैथेलिक समुदाय के लोगों को अपने स्थानीय चर्च के माध्यम से प्रार्थना सभा स्थल में प्रवेश के लिए आवेदन करना था. सभा में शामिल हुए लोगों में से कई ने पोप से मिलता जुलता परिधान पहना था. प्रार्थना सभा से पहले पोप फ्रांसिस ने अपने विशेष खुले वाहन में पूरे मैदान का चक्कर लगाया और वहां एकत्र लोगों का अभिवादन स्वीकार किया.
हालांकि पोप ने कहा कि उनके म्यांमार आने की वजह देश के 6,60,000 कैथोलिक ईसाई हैं. लेकिन रोहिंग्या मुसलमानों के साथ म्यामां में हो रही ज्यादतियों के कारण पोप की इस धार्मिक यात्रा ने कुछ हद तक राजनीतिक रंग ले लिया है. म्यांमार की व्यापारिक राजधानी में जातीय विविधता के रंगारंग उत्सव में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं के बीच कई महीनों से इसको लेकर उत्साह था.
पोप ने म्यांमार की नेता आंग सान सू ची और सेना प्रमुख मिन आंग हलियांग से भी निजी मुलाकात की है. देश की राजधानी में मंगलवार को पोप सू ची के साथ सार्वजनिक मंच पर आए थे और उन्होंने भाषण भी दिया था लेकिन रोहिंग्या संकट पर कुछ भी कहने से वह बचते रहे.
उन्होंने वहां कहा, ‘अधिकारों और न्याय का सम्मान करें. ‘ वहीं सू ची ने कहा कि म्यामां का लक्ष्य सभी लोगों के अधिकारों की रक्षा करना, सहिष्णुता को बढ़ावा देना और सभी की सुरक्षा सुनिश्चित करना है. पोप की यह पहली म्यांमार यात्रा है जबकि कैथेलिक ईसाई देश में पिछले 500 वर्षों से रह रहे हैं.