विकास दर रह सकती है छह फीसदी के ऊपर

नई दिल्ली: आर्थिक विकास के मोर्चे पर गुरुवार को अच्छी खबर आ सकती है. सरकार कारोबारी वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितम्बर) की विकास दर के आंकड़े जारी करेगी. उम्मीद है कि ये दर 6.2 से 6.4 फीसदी के बीच रह सकती है. यदि ऐसा हुआ तो पांच तिमाही से लगातार विकास दर में हो रही गिरावट पर ब्रेक लगेगा.

विकास दर के ये आंकड़े रिजर्व बैंक गवर्नर की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति की बैठक के एन पहले आने वाले हैं. अब यदि विकास दर की स्थिति बेहतर हुई तो समिति पर नीतिगत ब्याज दर में कमी को लेकर कोई दवाब नहीं रहेगा. यही नहीं महंगाई दर के साथ-साथ महंगाई की संभावनाओं में बढ़त के रूझान से भी नीतिगत ब्याज दर में शायद किसी तरह की कमी नहीं होगी.

ध्यान रहे कि सरकार और रिजर्व बैंक के बीच हुए समझौते के मुताबिक खुदरा महंगाई दर का लक्ष्य चार फीसदी है जिसमें ज्यादा से ज्यादा दो फीसदी की बढ़त या कमी हो सकती है. आम बोलचाल की भाषा में कहे तो महंगाई दर दो से छह फीसदी के बीच रखने का लक्ष्य है, जबकि इस समय ये दर 3.58 फीसदी है.

क्यों बेहतर रह सकती है विकास दर

चालू कारोबारी साल की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून की अवधि मे विकास दर गिरकर 5.7 फीसदी पर आ गयी थी. ये 13 तिमाहियो में सबसे निचली दर थी. इसके बाद सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठने लगे. दूसरी ओर सरकार का कहना था कि पूरे देश को एक बाजार बनाने वाली कर व्यवस्था वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी लागू होने के ऐन पहले कारोबारियों ने माल भंडार करना छोड़ दिया. इससे उत्पादन पर असर पड़ा और अंत में विकास दर प्रभावित हुई.

फिलहाल, वित्त मंत्री अरुण जेटली और प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद के मुखिया बिबेक देबरॉय मानते हैं कि अब स्थिति सामान्य होती दिख रही है. बाजार में मांग है और उत्पादक सामान बना रहे हैं. दूसरी ओर देश के कई हिस्सों में सामान्य मानसून से कृषि मे स्थिति अच्छी है जिससे ग्रामीण मांग में बढ़ोतरी हो रही है. इन्ही कारणों से विकास दर में सुधार के आसार हैं.

एसबीआई इकोरैप

भारतीय स्टेट बैंक के आर्थिक शोध विभाग की ओर से जारी ताजा रिपोर्ट में भी विकास दर बेहतर होने की तस्दीक की गयी. इकोरैप की ताजा रिपोर्ट में कहा गया कि दूसरी तिमाही में विकास दर 6.3-6.4 फीसदी रह सकती है. ध्यान रहे कि कारोबारी साल 2016-17 की चौथी तिमाही (जनवरी से मार्च) के दौरान विकास दर घटकर 6.1 फीसदी और उसके बाद चालू कारोबारी साल की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) में और भी गिरकर 5.7 फीसदी पर गयी.

बहरहाल रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि मैन्युफैक्चरिंग, माइनिंग और इलेक्ट्रेसिटी, तीनों में ही, सुधार देखने को मिल रहा है. सितंबर के महीने में औद्योगिक विकास दर 3.8 फीसदी रही. दूसरी ओर जेएसटी लागू होने के बाद सेवा क्षेत्र में भी बेहतर आय़ी है.

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