दो मुकदमों में चिन्मयानंद, छात्रा समेत पांच आरोपियों की पुलिस कस्टडी रिमांड दिए जाने की एसआईटी की अर्जी पर शुक्रवार को सीजेएम कोर्ट में सुनवाई की गई। इसमें शासकीय अधिवक्ता ने रिमांड देने के लिए तमाम कारण गिनाए, जबकि चिन्मयानंद, छात्रा और उसके साथियों के वकीलों ने पुलिस रिमांड दिए जाने का विरोध किया। बहस के बाद इस पुलिस कस्टडी रिमांड को लेकर सीजेएम ने फैसला सुरक्षित कर लिया। शनिवार को फैसला सुनाया जाएगा।
शाहजहांपुर जिला जेल में दुराचार के आरोप में बंद चिन्मयानंद, रंगदारी मांगने की आरोपी छात्रा उसके साथी संजय, विक्रम और सचिन के खिलाफ एसआईटी सभी सबूतों को पुख्ता करना चाहती है। इसीलिए संजय सिंह, छात्रा, ड्राइवर अनूप द्वारा एसआईटी को सौंपे गए वीडियो में सुनी जाने वाली आवाजों का मिलान भी कराने के लिए एसआईटी ने सीजेएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर कस्टडी रिमांड मांगी थी, ताकि पांचों आरोपियों को लखनऊ एफएसएल ले जाकर वाइस सैम्पल लिए जा सकें। अर्जी पर जब बहस हुई तो आरोपियों के वकीलों ने पुलिस कस्टडी रिमांड का कड़ा विरोध किया।
चश्मा तो वहां था ही नहीं, जहां बताया गया!
स्वामी चिन्मयानंद केस में सबसे महत्वपूर्ण खुफिया कैमरे वाला चश्मा था। उसी चश्मे में लगे कैमरे के कारण पूर्व गृहराज्यमंत्री चिन्मयानंद बेनकाब हो गए। वह चश्मा तो अब तक एसआईटी बरामद नहीं कर पाई है। छात्रा ने कई बार कहा कि उसने हास्टल के रूम में चश्मा रखा था, लेकिन एसआईटी ने जब हॉस्टल का रूम खुलवाया तो वहां चश्मा नहीं मिला। सूत्रों ने बताया कि चश्मा हास्टल के कमरे में रखा ही नहीं था। वह तो छात्रा अपने साथ ले गई थी, उसे सुरक्षित रखने के लिए छात्रा ने जिस व्यक्ति को चश्मा दिया, उसने उस चश्मे व पेन ड्राइव को नष्ट कर दिया।
चश्मे को लेकर छात्रा का लाई डिटेक्टर टेस्ट संभव
चश्मा, छात्रा के मोबाइल को लेकर एसआईटी लगातार मगजमारी कर रही है। बरामदगी के लिए एसआईटी एड़ीचोटी का जोर लगाए है। इसलिए वह अपनी बात पर अडिग छात्रा से बार-बार चश्मे के बावत सवाल कर रही है। पर सही जवाब नहीं मिल रहा है। छात्रा सही बोल रही है या गलत, यह तय नहीं हो पा रहा है। अगर ऐसा ही रहा तो लाई डिटेक्टर टेस्ट भी संभव हो सकता है।
सचिन ने ही चिन्मयानंद को वीडियो की जानकारी दी थी
स्वामी चिन्मयानंद से पहली बार सचिन सेंगर ने ही मिलकर मालिश कराने वाले वीडियो की जानकारी दी थी। चिन्मयानंद से सचिन सेंगर ने ही वीडियो के एवज में रुपया दिए जाने की बातचीत शुरू की थी। सचिन तो कई बार चिन्मयानंद से मिलने उनके आश्रम भी गया था। सचिन चिन्मयानंद को पूरी तरह से आश्वस्त कर रहा था कि वह रुपया दे दें तो वह वीडियो लाकर दे देगा।