दिल्‍ली: फिर से लागू हो सकती है Odd-even योजना, सरकार ने कहा- ‘पूरी तरह तैयार’ रहें

नई दिल्‍ली : दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के स्तर के मद्देनजर एक बार फिर ऑड-ईवन स्‍कीम को लागू किया जा सकता है. यह बात दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कही.

गहलोत ने कहा कि दिल्ली सरकार प्रदूषण का स्तर बढ़ने के मद्देनजर सड़कों पर कारों की संख्या को प्रतिबंधित करने के लिए सम-विषम योजना को फिर से लागू कर सकती है. मंत्री ने बुधवार को दिल्ली परिवहन निगम और अपने मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिखकर कहा कि जब कभी सम-विषम की घोषणा की जाती है, वे इसे लागू करने के लिए ‘पूरी तरह तैयार’ रहें. उन्होंने कहा, ‘दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ने के साथ सरकार को सम-विषम योजना समेत आपात कदम उठाने होंगे’. वाहनों की पंजीकरण संख्या के आखिरी अंक पर आधारित यह योजना वर्ष 2016 में दो बार- एक जनवरी से 15 जनवरी और फिर 15 अप्रैल से 30 अप्रैल तक लागू की गई थी. इस योजना के तहत सम और विषम संख्या वाले वाहन सम विषम तारीखों वाले दिनों में सड़कों पर चलते हैं.

वायु प्रदूषण स्तर के 48 घंटे या इससे अधिक समय के लिए ‘आपात’ श्रेणी में रहने पर इसे लागू किया जा सकता है.

चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) को लागू करने का अधिकार रखने वाले पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने पिछले सप्ताह कहा था कि वह आवश्यकता पड़ने पर ‘सम-विषम’ योजना लागू करने, कारों को सड़कों पर नहीं चलने का आदेश देने और स्कूलों को बंद करने का आदेश देने से हिचकेगा नहीं. ईपीसीए को उच्चतम न्यायालय ने नियुक्त किया है.

जीआरपीए को नवंबर 2016 में न्यायालय के आदेश के बाद केंद्र ने इस साल जनवरी में अधिसूचित किया था. गहलोत ने कहा कि सम-विषम योजना लागू होने पर तैयारी का ‘मुख्य घटक’ डीटीसी द्वारा अतिरिक्त बसों की खरीदारी होगा.

योजना को लागू करने में सबसे बड़ी चुनौती अच्छी तरह विकसित दिल्ली मेट्रो नेटवर्क के अलावा सार्वजनिक परिवहन की खराब सुविधाएं है.

डीटीसी के पास 4000 बसें है, जबकि दिल्ली इंटीग्रेटिड मल्टीमोडल ट्रांजिट सिस्टम 1,600 बसें चलाता है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि शहर के सभी इलाकों में चलाने के लिए करीब 11,000 बसों की आवश्यकता है.

ईपीसीए वायु प्रदूषण स्तर के ‘बहुत खराब’ और ‘गंभीर’ श्रेणियों पर पहुंचने के बाद बदरपुर ताप विद्युत संयंत्र एवं ईंट भट्टों को बंद करने और जनरेटरों पर प्रतिबंध लगाने जैसे कड़े कदम पहले ही उठा चुका है.

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