नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने 100 से अधिक क्रेताओं की याचिका पर सरकार तथा आम्रपाली समूह की दो कंपनियों से शुक्रवार (6 अक्टूबर) को जवाब मांगा. इन क्रेताओं ने याचिका में अनुरोध किया है कि बैंकों व वित्तीय संस्थानों की तरह उन्हें भी प्रतिभूति जमानती ऋणदाता मानते हुए उनके हितों की रक्षा की जाए. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा व न्यायाधीश ए एम खानविलकर व न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने केंद्र सरकार व आम्रपाली समूह को नोटिस जारी करते हुए उनसे चार सप्ताह में जवाब मांगा है. आम्रपाली के इन मकान क्रेताओं को न तो प्रस्तावित फ्लैटों का कब्जा मिला और न ही पैसा वापस मिला. इन क्रेताओं ने उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में आम्रपाली सेंचुरियन पार्क लॉ राइज प्रोजेक्ट, आम्रपाजली सेंचुरियन पार्क टैरेस होम्स व आम्रपाली सेंचुरियन पार्क ट्रोपिक्ल गार्डन में मकान बुक करवाया था.
कंपनी को लगभग 40 टावरों में 5000 से अधिक फ्लैट बनाने थे. विक्रम चटर्जी व 106 अन्य द्वारा दाखिल याचिका में नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) के उस आदेश को खारिज करने का आग्रह किया गया है जो कि उसने बैंक ऑफ बड़ौदा की याचिका पर दिया था. याचिका में आग्रह किया गया है कि या तो मकान क्रेताओं को बैंक व वित्तीय संस्थानों के समान ही माना जाए अथवा दिवालिया संहिता के प्रावधानों को संविधान में दिये गये जीने और समानता के अधिकार जैसे मूल अधिकारों का उल्लंघन करने वाला ठहराया जाए.
सुप्रीम कोर्ट का 32000 फ्लैट खरीददारों के हित में फैसला, जेपी बिल्डर्स को फटकारा
इससे पहले एक अन्य मामले में भवन निर्माताओं को धन का भुगतान किये जाने के बावजूद फ्लैट खरीददारों को अभी तक मकान का कब्जा नहीं मिलने की वजह से उनकी स्थिति से विचलित उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार (3 अक्टूबर) को कहा था कि वह उन निवेशकों की मदद करना चाहता है जिन्हें मकान या उनका पैसा वापस मिलना चाहिए. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश के नोएडा में जेपी विश टाउन के 40 से अधिक मकान खरीददारों की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की. इन मकान खरीददारों ने दिवालिया संहिता 2016 के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी है.
शीर्ष अदालत ने हालांकि यह भी कहा कि वह ऐसे मामलों में अब और विवाद नहीं चाहती है. पीठ ने कहा, ‘‘हम मकान खरीददारों की मदद करना चाहते हैं, लेकिन और विवाद नहीं चाहते हैं. हम चाहते हैं कि मकान खरीददारों को उनके फ्लैट या उनका पैसा मिलना चाहिए.’’ पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील राशिद सईद से कहा कि रियल इस्टेट फर्म जेपी इंफ्राटेक लि को दिवालिया घोषित करने की कार्यवाही से संबंधित मामले में पहले ही वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफडे को न्याय मित्र नियुक्त किया जा चुका है. पीठ ने सईद से कहा कि दिवालिया घोषित करने की कार्यवाही के लंबित मामले में ही एक पक्षकार बनाने का अनुरोध करते हुये वह एक अर्जी दायर करें.