नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट और देश के 24 उच्च न्यायालयों के जजों के वेतन में जल्द ही बढ़ोतरी हो सकती है. केंद्रीय कैबिनेट इस बाबत कल एक प्रस्ताव पर विचार कर सकती है. तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर ने 2016 में सरकार को पत्र लिखकर उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के जजों के वेतन में बढ़ोतरी की मांग की थी. उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय जज (वेतन एवं सेवा शर्त) संशोधन विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है .
वेतन एवं भत्तों से सभी कटौतियों के बाद उच्चतम न्यायालय के एक जज को अभी प्रति माह 1.5 लाख रुपए की तनख्वाह मिलती है . प्रधान न्यायाधीश को इससे थोड़ी ज्यादा रकम मिलती है जबकि उच्च न्यायालयों के जजों को इससे कम तनख्वाह मिलती है . इस राशि में जजों को सेवा के दौरान दी जाने वाली किराया मुक्त आवास की सुविधा शामिल नहीं है .
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद यह मामला पहले ही सरकार के विचाराधीन है . सरकार ने मोटे तौर पर प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है और प्रधान न्यायाधीश का मासिक वेतन बढ़ाकर 2.8 लाख रुपए करने पर सहमत हो गई है . इसके अलावा भत्ते अलग होंगे . उच्चतम न्यायालय के जज को 2.5 रुपए का वेतन देने पर भी सरकार मोटे तौर पर सहमत है .
सरकार ने उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों का वेतन 2.5 रुपए और उच्च न्यायालयों के जजों का वेतन 2.25 लाख प्रति माह करने पर भी विचार किया था . तीन जजों की एक समिति ने प्रधान न्यायाधीश के लिए तीन लाख रुपए के वेतन का प्रस्ताव किया था.
जजों को बकाया राशि भी मिलेगी, क्योंकि वेतन बढ़ोतरी पिछली तारीख से लागू होगी . उच्चतम न्यायालय में प्रधान न्यायाधीश सहित जजों के कुल स्वीकृत पदों की संख्या 31 है जबकि अभी शीर्ष न्यायालय में 25 जज कार्यरत हैं . उच्च न्यायालयों में जजों के कुल स्वीकृत पद 1,079 हैं जबकि महज 682 जज कार्यरत हैं .