लखनऊ: अयोध्या मसले पर समझौते के लिए रविवार को अयोध्या में पहली बैठक हुई. बैठक में समझौते का फॉर्मूला बनाने पर विचार हुआ. इसमें अयोध्या मुकदमे के चार पैरोकार शामिल हुए. इनका कहना है कि 6 दिसंबर से पहले मसले को समझौते से हल कर देना चाहते हैं. लेकिन सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी कहते हैं कि ऐसे समझौते की कोई कानूनी हैसियत नहीं है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में चल रहे इस मुकाबले में 27 पक्षकार हैं. उनमें से कुछ लोग इस पर कोई समझौता नहीं कर सकते.
अयोध्या में दोनों पक्षों के लोग समझौते का फॉर्मूला तलाशन 3 घंटे साथ बैठे. इसमें मुकदमे के पैरोकार हाशिम अंसारी के बेटे इकबाल अंसारी, रामचंद्र परमहंस के उत्तराधिकारी महंत सुरेश दास, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी और शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी शामिल हुए.
बैठक के बाद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने कहा कि, ‘वसीम भाई की एक बात बहुत अच्छी लगी कि अयोध्या में सिर्फ राम मंदिर ही चाहिए. अभी हम नृत्य गोपाल दास जी से मिले हैं. वीएचपी और आरएसएस कहता है कि अयोध्या में राम मंदिर संतों के ही माध्यम से बनेगा, तो हम सब लोग माध्यम बना दिए हैं.’
बाबरी मस्जिद के सबसे बजुर्ग पैरोकार हाशिम अंसारी अपने आखिरी वक्त में हनुमानगढ़ी के महंत ज्ञान दास के साथ समझौते से मंदिर और मस्जिद साथ-साथ बनवाने की कोशिश में थे, लेकिन जमीन पर शिया वक्फ बोर्ड का दावा करने वाले वसीम रिजवी विवादित जमीन पर अपना दावा छोड़ने को तैयार हैं. वो चाहते हैं कि मस्जिद कहीं और बने.
वसीम रिजवी ने कहा, ‘यहां पर कोई भी मस्जिद बनाने का प्रस्ताव हमारी तरफ से नहीं है. ये हम कोर्ट में कह चुके हैं. यहां सिर्फ भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बनेगा, इस काम के लिए शिया वक्फ बोर्ड पूरी तरह से राम मंदिर निर्माण वालों के पक्ष में है.’
मंदिर मस्जिद के मसले को हल करने के लिए 1986 के बाद अब तक 11 कोशिशें नाकाम रही हैं. देश के 6 प्रधानमंत्रियों राजीव गांधी, वीपी सिंह, चंद्रशेखर, नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के वक्त बातचीत हुई. इसमें पूर्व राष्ट्रपति आर वेंकटरावघवन, पूर्व तांत्रिक चंद्रा स्वामी, शंकराचार्य जयनेंद्र सरस्वती, राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास, पर्सनल लॉ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष अली मियां, मौजूदा अध्यक्ष राबी हसन नादवी, उपाध्यक्ष मौलाना कल्बे सादिक और जस्टिस पलोक बसु इस बातचीत का हिस्सा रहे. सुप्रीम कोर्ट ने भी दोनो पक्षों से समझौते की सलाह दी लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी. इस तरह यह समझौते की 12वीं कोशिश होगी.
लेकिन रविवार को बैठक में पैरोकार इकबाल अंसारी की वसिम रिजवी से कहासुनी हो गई और वो बैठक छोड़कर चले गए. इकबाल अंसारी हासिम अंसारी के बेटे हैं. कुछ वक्त पहले पिता की मौत के बाद उनकी जगह मुद्दई बने हैं. इकबाल, वसीम रिजवी से तो नाराज हैं लेकिन समझौते के खिलाफ नहीं हैं. वो चाहते हैं कि संतो महंतों से बातचीत कर मसले को अदालत के बाहर ही हल किया जाए.