नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार (25 सितंबर) को कहा कि अर्थव्यवस्था में पिछली तिमाही में मामूली गिरावट आयी और सरकार इसके कारण आयी चुनौतियों का समाधान निकालने की प्रक्रिया में है. जेटली ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कार्यकारिणी की बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए यह कहा. उन्होंने विपक्ष द्वारा नोटबंदी के कारण अर्थव्यवस्था पर पड़े प्रतिकूल असर की बात को खारिज कर दिया. उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर बताया. उन्होंने कहा कि पिछली तिमाही में आयी मामूली गिरावट को छोड़ दें तो पिछले साढ़े तीन साल के वृहद आर्थिक आंकड़े अर्थव्यवस्था के पहले से बेहतर होने का संकेत देते हैं.
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘पिछली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में मामूली गिरावट आयी जो मैंने भी कहा है. आर्थिक माहौल को बदलने के लिए जो भी जरूरी कदम हो सकते हैं, हम निश्चित उनके ऊपर अमल करने की प्रक्रिया में हैं.’’ जेटली ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) ने कालाधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक भी कदम नहीं उठाया. काला धन समाप्त करना और घूसखोरी रोकना संप्रग के राजनीतिक तथा आर्थिक एजेंडे का कभी हिस्सा ही नहीं रहा.
उन्होंने कहा, ‘‘यह तय है कि काला धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाये जाने वाले किसी भी कदम का संप्रग का कोई नेता समर्थन नहीं करेगा.’’ जेटली ने कहा कि मौजूदा सरकार ने पिछले साढ़े तीन साल में कई कदम उठाये हैं और जिन्हें इससे दिक्कत हो रही है वे इन कदमों से असहज हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि पिछली तिमाही में नरमी के बाद भी सेवा क्षेत्र में सुधार हुआ है. विनिर्माण क्षेत्र के कारण जीडीपी में गिरावट आयी है.
अरुण जेटली ने कहा, आर्थिक सुस्ती से निपटने के लिए उठाए जाएंगे जरूरी कदम
इससे पहले केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार (21 सितंबर) को कहा कि सरकार आर्थिक सुस्ती के बीच स्थिति की समीक्षा कर रही है और इससे निपटने के लिए जल्द ही ‘उपयुक्त कदम’ उठाए जाएंगे. जे.पी. मोर्गन की ओर से आयोजित दूसरे ‘भारत इंवेस्टर समिट’ को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा, “पहले दिन से ही यह सरकार अग्रसक्रिय है. हमलोग आर्थिक संकेतकों की समीक्षा कर रहे हैं और सही समय पर सही कदम उठाया जाएगा. निजी निवेश में समस्या है. सरकार ने समस्या सुलझा लिया है, बहुत जल्द ही इस पर कदम उठाएंगे.” उन्होंने कहा कि बैंकों ने अतीत में अत्यधिक ऋण दिया था. बैंकों के लिए पूंजी का प्रस्ताव भी लंबित है.
जेटली ने आर्थिक स्थिति और इसके उपायों की समीक्षा के लिए 19 सितंबर को उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की थी. इस बैठक में रेलमंत्री पीयूष गोयल, वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु, मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन और वित्त मंत्रालय के सचिव अशोक लवासा, सुभाष चंद्र गर्ग, हसमुख अधिया, राजीव कुमार और नीरज कुमार गुप्ता मौजूद थे.
सरकार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और औद्योगिक उत्पादन के साथ चालू खाते में गिरावट के बाद वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज पर विचार कर रही है. विनिर्माण क्षेत्र में सुस्ती के कारण चालू वित्तवर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की दर घटकर 5.7 फीसदी पर आ गई है, जो साल 2014 में मोदी के सत्ता संभालने के बाद की सबसे कम दर है.