सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण को अवमानना का दोषी माना है, जिसकी सजा पर आज बहस होगी। सुप्रीम कोर्ट प्रशांत भूषण को सजा सुनाए जाने से पहले बहस की सुनवाई करेगा। प्रशांत भूषण को न्यायपालिका के प्रति उनके दो अपमानजनक ट्वीट के लिए 14 अगस्त को अदालत की आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया गया था। न्यायालय की अवमानना कानून के तहत अवमानना के दोषी व्यक्ति को छह महीने तक की साधारण कैद या दो हजार रूपए जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा ने कहा था कि इस अपराध के लिये प्रशांत भूषण को दी जाने वाली सजा के बारे में 20 अगस्त को बहस सुनी जायेगी। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने 14 अगस्त को अपने फैसले में प्रशांत भूषण को दोषी पाया था।
अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने उन दो ट्वीट का बचाव किया था, जिसमें कथित तौर पर अदालत की अवमानना की गई है। उन्होंने कहा था कि वे ट्वीट न्यायाधीशों के खिलाफ उनके व्यक्तिगत स्तर पर आचरण को लेकर थे और वे न्याय प्रशासन में बाधा उत्पन्न नहीं करते। न्यायालय ने इस मामले में एक याचिका का संज्ञान लेते हुये प्रशांत भूषण के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही के लिये उन्हें 22 जुलाई को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
सुनवाई टालने का अनुरोध
सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का दोषी ठहराये गए वकील प्रशांत भूषण ने सजा पर बहस से एक दिन पहले बुधवार को अर्जी दाखिल करके सुनवाई टालने का अनुरोध किया। भूषण की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कामिनी जायसवाल द्वारा अर्जी में तब तक सजा पर सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया गया है जब तक वह एक पुनर्विचार याचिका दायर नहीं कर देते और उस पर फैसला नहीं आ जाता।
अर्जी में क्या है दलील
याचिकाकर्ता का कहना है कि चूंकि इस मामले में शीर्ष अदालत ही ट्रायल कर रही है, ऐसे में उनके पास केवल पुनर्विचार याचिका के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। इसलिए न्यायालय को काफी सोच विचारकर कोई भी निर्णय लेना चाहिए।
भूषण ने व्यवस्था देने का अनुरोध किया था
प्रशांत भूषण ने उच्चतम न्यायालय के सेकेट्री जनरल द्वारा कथित तौर पर असंवैधानिक और गैर कानूनी तरीके से उनके खिलाफ दायर त्रुटिपूर्ण अवमानना याचिका स्वीकार करने पर भी व्यवस्था देने का अनुरोध किया था, जिसमें शुरुआत में याचिका प्रशासनिक पक्ष के पास रखी गई और बाद में न्यायिक पक्ष के पास। न्यायालय ने आदेश में कहा, ‘मामले में पेश वरिष्ठ अधिवक्ता (दवे) को सुना। हमें इस रिट याचिका पर सुनवाई का आधार नहीं दिखता और इसलिए इसे खारिज किया जाता है। लंबित वादकालीन आवेदन खारिज माना जाए।’
दो ट्वीट संस्था के खिलाफ नहीं थे: दवे
दवे ने इसके बाद भूषण के खिलाफ दायर अवमानना मामले में बहस की और कहा, ‘दो ट्वीट संस्था के खिलाफ नहीं थे। वे न्यायाधीशों के खिलाफ उनकी व्यक्तिगत क्षमता के अंतर्गत निजी आचरण को लेकर थे। वे दुर्भावनापूर्ण नहीं हैं और न्याय के प्रशासन में बाधा नहीं डालते हैं।’ उन्होंने कहा था, ‘भूषण ने न्यायशास्त्र के विकास में बहुत बड़ा योगदान दिया है और कम से कम 50 निर्णयों का श्रेय उन्हें जाता है।’ दवे ने कहा कि अदालत ने टूजी, कोयला खदान आवंटन घोटाले और खनन मामले में उनके योगदान की सराहना की है।
एडीएम जबलपुर के मामले का संदर्भ दिया
उन्होंने कहा, ‘संभवत: आपने भी उनके 30 साल के कार्यों के लिए उन्हें पद्म विभूषण दिया होता। दवे ने यह भी कहा था कि कि यह मामला नहीं है जिसमें उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए।’ आपातकाल के दौरान मूल अधिकारों के स्थगित करने के एडीएम जबलपुर के मामले का संदर्भ देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि न्यायाधीशों के खिलाफ अत्यंत असहनीय टिप्पणी किए जाने के बावजूद अवमानना की कार्यवाही नहीं की गई। अपने 142 पन्नों के जवाब में भूषण ने अपने दो ट्वीट पर कायम रहते हुए कहा कि विचारों की अभिव्यक्ति, ‘हालांकि मुखर, असहमत या कुछ लोगों के प्रति असंगत होने की वजह से अदालत की अवमानना नहीं हो सकती। वहीं, शीर्ष अदालत ने भूषण के ट्वीट का संदर्भ देते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया यह आम लोगों की नजर में सामान्य तौर पर उच्चतम न्यायालय की संस्था और भारत के प्रधान न्यायाधीश की शुचिता और अधिकार को कमतर करने वाला है।
A head constable of Shabad Dairy Police Station has been detained after he shot dead a man in Rohini area today morning; further investigation in the case is underway: Delhi Police
— ANI (@ANI) August 20, 2020
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