सोल: अमेरिकी नौसेना ने शुक्रवार (13 अक्टूबर) को बताया कि अमेरिका और दक्षिण कोरिया अगले हफ्ते से एक बड़े नौसेना अभ्यास की शुरुआत करेंगे. यह अभ्यास उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल परीक्षणों के खिलाफ अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए किया जाएगा. उत्तर कोरिया के हथियार कार्यक्रमों के कारण पिछले कुछ महीनों में तनाव काफी बढ़ गया है. अमेरिका के प्रतिबंधों की अवहेलना करते हुए प्योंगयांग ने कई मिसाइलों का प्रक्षेपण किया और अपने छठे और सबसे शक्तिशाली परमाणु परीक्षण को अंजाम दिया.
अमेरिका ने तब से क्षेत्र में अपने दो करीबी देशों – दक्षिण कोरिया और जापान के साथ सैन्य अभ्यास को बढ़ा दिया है. एक बयान में अमेरिका के सातवें फ्लीट ने कहा कि इस अभ्यास में दक्षिण कोरिया के नौसैन्य जहाजों के साथ यूएसएस रोनाल्ड रेगन लड़ाकू विमान वाहक और दो अमेरिकी विध्वंसक शामिल किए जाएंगे.
बयान में कहा गया कि 16 अक्तूबर से 26 अक्तूबर तक जापान के सागर और पीला सागर में होने वाला यह अभ्यास, “संचार, पारस्परिकता और साझेदारी” को बढ़ावा देंगे. यह कदम प्योंगयांग को क्रोधित कर सकता है जिसने कुछ समय पहले किसी आगामी संयुक्त सैन्य अभ्यास के खिलाफ चेतावनी दी थी.
सरकारी समाचार एजेंसी केसीएनए की खबर के मुताबिक, “अगर अमेरिकी साम्राज्यवादी और उनकी कठपुतली जापान, हमें परमाणु युद्ध के लिए भड़काते हैं तो इसका परिणाम केवल उनका खात्मा होगा.” मंगलवार (10 अक्टूबर) को ट्रंप ने उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल परीक्षण का जवाब देने के लिए अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम के साथ ‘कई विकल्पों’ पर चर्चा की थी.
व्हाइट हाउस ने कहा, उत्तर कोरिया पर दबाव डालता रहेगा अमेरिका; ट्रंप ने खुले रखे हैं ‘सारे विकल्प’
इससे पहले व्हाइट हाउस ने कहा कि अमेरिका उत्तर कोरिया पर अधिकतम आर्थिक और कूटनीतिक दबाव डालना जारी रखेगा, क्योंकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ‘‘सभी विकल्प खुले होने’’ की अपनी नीति पर कायम हैं. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव सारा सैंडर्स ने कहा ट्रंप के पास एक अतुलनीय टीम है और अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसने गठबंधन सहयोगियों और दुश्मनों का सामना करके शानदार सफलतायें हासिल की हैं. उन्होंने शुक्रवार (6 अक्टूबर) को कहा, ‘‘हम उसे करते रहने जा रहे हैं और हम उसे एक टीम के तौर पर करते रहने जा रहे हैं जिसका नेतृत्व राष्ट्रपति कर रहे हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम उत्तर कोरिया जैसे देशों पर अधिकतम आर्थिक और कूटनीतिक दबाव डालते रहेंगे. हम ऐसा करते रहना जारी रखेंगे लेकिन इसके साथ ही राष्ट्रपति अपने सभी विकल्प खुले रखने जा रहे हैं. हमारी स्थिति नहीं बदली है. यह बेहद तर्कसंगत है.’