केंद्र की मोदी सरकार तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) और निकाह हलाला संबंधी मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 में केंद्रीय कैबिनेट ने कुछ संशोधन को मंजूरी दे दी है. जिसमें तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) के मामले को गैर जमानती अपराध तो माना गया है लेकिन संशोधन के हिसाब से अब मजिस्ट्रेट को बेल देने का अधिकार होगा.
पिछले साल शीतकालीन सत्र में राज्यसभा में विपक्ष के विरोध के कारण लटके मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 में संशोधन को केंद्रीय कैबिनेट नें मंजूरी दे दी है. गुरुवार हुई कैबिनेट की बैठक में तीन तलाक को गैर जमानती अपराध तो माना गया है लेकिन अब मजिस्ट्रेट को जमानत देने का अधिकार दे दिया गया है. साथ ही विधेयक में एक और संशोधन किया गया है जिसमें पीड़ित के रिश्तेदार जिससे उसका खून का रिश्ता हो भी शिकायत दर्ज कर सकता है.
दरअसल साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों में मोदी सरकार इस विधेयक को एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश करना चाहती है. बता दें कि पिछले सत्र में राज्यसभा में इस विधेयक पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में तीखी नोंक झोंक देखने को मिली थी. जब विपक्ष की तरफ से विधेयक को त्रुटिपूर्ण बताते हुए प्रवर समिति में भेजने की मांग की गई थी. कांग्रेस की तरफ से लोकसभा में बिल में पीड़ित महिला को पति के जेल जाने के बाद गुजारा भत्ता दिए जाने का संशोधन पेश किया गया था लेकिन यह संशोधन निचले सदन में गिर गया.
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद जारी किया था लेटर
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर महिला आरक्षण बिल को संसद में पारित किए जाने के लिए सहयोग की अपील की गई थी. उसके बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गांधी को पत्र लिखकर कहा था कि कांग्रेस महिला आरक्षण ही नहीं, बल्कि तीन तलाक, हलाला और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग बिल पर भी सरकार का साथ दे. इस पर महिला कांग्रेस की प्रमुख सुष्मिता देव ने कहा था कि सरकार की ओर से सौदेबाजी की जा रही है.