नई दिल्ली: दूरसंचार क्षेत्र के जानकारों का मानना है कि टाटा टेलीसर्विसेज के उपभोक्ता मोबाइल कारोबार के अधिग्रहण से दूरसंचार बाजार में भारती एयरटेल की स्थिति मजबूत होगी और उसे आइडिया-वोडाफोन के विलय से बनने वाली इकाई का बेहतर मुकाबला करने में मदद मिलेगी. कुछ विश्लेषकों का तो यहां तक कहना है कि टाटा के टेलीफोनी कारोबार के अधिग्रहण से सुनील मित्तल की एयरटेल को आइडिया-वोडाफोन के विलय के बाद भी अग्रणी स्थिति बनाए रख पाने में मदद मिलेगी.
उल्लेखनीय है कि भारती एयरटेल ने टाटा समूह के घाटे में चल रहे मोबाइल टेलीफोनी कारोबार का अधिग्रहण करने की घोषणा की है. इसके तहत एयरटेल एक नवंबर से 19 दूरसंचार सर्किलों में टाटा टेलीसर्विसेज (टीटीएसएल) व टाटा टेलीसर्विसेज महाराष्ट्र (टीटीएमएल) के चार करोड़ से अधिक ग्राहकों का अधिग्रहण करेगी. यह अधिग्रहण ‘कोई ऋण नहीं-कोई नकदी नहीं’ आधार पर किया जाएगा.
डिजिटल बुनियादी ढांचे में 20 हजार करोड़ निवेश करेगी भारती एयरटेल
भारती एयरटेल-टाटा की घोषणा पर टिप्पणी करते हुए बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफा-एमएल) ने अपनी ताजा रपट में कहा है हमारे विचार में यह सौदा भारती एयरटेल के लिए बहुत ही सकारात्मक है और शायद वह वोडाफोन-आइडिया विलय के बाद भी बाजार भागीदारी के लिहाज से अग्रणी बनी रह सकती है.
वित्तीय सेवा फर्म यूबीएस का कहना है कि फौरी आय गिरावट से इतर भारती एयरटेल नेटवर्क, स्पेक्ट्रम व पहुंच को देखते हुए दीर्घकालिक विजेता के रूप में उभरी है. ड्यूश बैंक के अनुसार इस सौदे के साथ दूरसंचार क्षेत्र में ‘एकीकरण’ मोटे तौर पर पूरा हो गया है. इसी तरह रेटिंग एजेंसी फिच का कहना है कि टाटा टेली व भारती एयरटेल का सौदा दोनों कंपनियों के लिए सकारात्मक है और इससे एयरटेल की ऋण प्रोफाइल सुधरेगी.
एजेंसी का कहना है कि इस सौदे में एयरटेल परिचालन के अधिग्रहण के लिए किसी राशि का भुगतान नहीं कर रही है इसमें कोई कर्ज नहीं है और अतिरिक्त स्पेक्ट्रम का फायदा भी उसे इसमें मिलेगा. एजेंसी ने अपनी रपट में कहा है कि सौदे के बाद भारती की कारोबार बाजार हिस्सेदारी 4-5 प्रतिशत बढ़कर 37-38 प्रतिशत हो जाएगी.