तेहरान: ईरान के विदेश मंत्री जावेद जारिफ ने शनिवार (14 अक्टूबर) को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा दी गई धमकी से ईरानी कभी नहीं डरने वाले हैं. डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार (13 अक्टूबर) को ईरानी परमाणु समझौते से बाहर निकलने की धमकी दी थी और वर्ष 1979 में तेहरान में अमेरिकी दूतावास में बंधक संकट और हालिया बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण को लेकर उन्होंने ईरान पर जम कर हमला किया था. जावेद जारिफ ने ट्वीट किया, “आरोप, धमकी और गाली बकने से ईरानी कभी डरने वाले नहीं हैं. ट्रंप को भी पता चल जाएगा, जैसा कि उनके पूर्ववर्तियों को पता चला था.”
इससे पहले ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने शुक्रवार (13 अक्टूबर) को कहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ईरान के अंतर्राष्ट्रीय परमाणु समझौते को ‘एकतरफा’ निरस्त नहीं कर सकते. ईरान के खिलाफ ट्रंप की आक्रामक टिप्पणियों के बाद रूहानी ने सरकारी टेलीविजन चैनल पर लाइव प्रसारण में कहा, “ईरान परमाणु समझौता एक बहुपक्षीय समझौता है और इसे एक देश के राष्ट्रपति द्वारा निरस्त नहीं जा सकता.”
ट्रंप ने परमाणु समझौते को प्रमाणित करने से किया इनकार, ईरान शासन को बताया ‘कट्टरपंथी’
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के शासन को ‘कट्टरपंथी’ बताते हुए उसकी निंदा की है और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु समझौते को प्रमाणित करने से इनकार कर दिया है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने शुक्रवार (13 अक्टूबर) को कहा कि वह इस समझौते को परामर्श के लिए कांग्रेस के पास भेज रहे हैं और अपने सहयोगियों से सलाह लेंगे कि इसमें क्या बदलाव किया जाए. उन्होंने ईरान पर आतंकवाद को प्रायोजित करने का आरोप लगाया और कहा कि वह ईरान को परमाणु हथियार के रास्ते पर नहीं चलने देंगे.
अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों का कहना है कि ईरान 2015 में हुए परमाणु समझौते का पूरी तरह पालन कर रहा है. ट्रंप ने हालांकि कहा कि समझौता बेहद लचीला है और ईरान ने “कई बार समझौते का उल्लंघन किया.” उन्होंने कहा कि ईरान ने समझौते का उल्लंघन करते हुए अंतर्राष्ट्रीय निरीक्षकों को पूर्ण निरीक्षण नहीं करने दिया.