नई दिल्ली: पीएम मोदी के महत्वपूर्ण अभियान ‘स्वच्छ भारत मिशन’ को संयुक्त राष्ट्र संघ के एक विशेषज्ञ की आलोचना सहनी पड़ी है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लोकप्रिय अभियान ‘स्वच्छ भारत’ को शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र के एक शीर्ष विशेषज्ञ की कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा. विशेषज्ञ ने कहा कि इस मिशन में ‘मानव अधिकारों के प्रति सर्वांगीण रुख की कमी है. संयुक्त राष्ट्र के विशेष अधिकारी (यूएनएसआर) लियो हेल्लर ने एक संवाददाता सम्मेलन में अपने भारत दौरे पर एक प्रारंभिक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जहां उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा शौचालय निर्माण को दिया जा रहा महत्त्व सभी के लिए पेयजल उपलब्ध कराने के मुद्दे को कमजोर न कर दे.
संयुक्त राष्ट्र के विशेष अधिकारी लियो हेल्लर के मुताबिक, बीते दो हफ्तों में मैंने ग्रामीण और शहरी इलाकों, झुग्गियों और पुनर्वास शिविरों का दौरा किया, जहां ऐसे लोग निवास करते हैं, जिनके बारे में ज्यादा सूचना नहीं मिलती. मैंने पाया कि इन प्रयासों में मानव अधिकारों के नजरिये की काफी कमी है. इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार के उच्चायुक्त के कार्यालय की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति को सरकार की ओर से कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. यह विज्ञप्ति संवाददाता सम्मेलन में वितरित की गई.
विज्ञप्ति में हेलर के हवाले से कहा गया, ‘मैं जहां भी गया, मैंने स्वच्छ भारत मिशन का लोगो (महात्मा गांधी) के चश्मे को देखा. मिशन लागू होने के तीसरे साल में, अब यह जरूरी हो गया है कि उन चश्मों को मानव अधिकारों के लेंस से बदला जाए.’
स्वच्छ भारत मिशन के लोगो पर की गई टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए सरकार ने एक बयान जारी कर इसकी निंदा की और कहा कि यह ‘हमारे राष्ट्रपिता के प्रति गहरी असंवेदनशीलता’ दर्शाता है. सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पूरा विश्व जानता है कि महात्मा गांधी मानवाधिकारों के प्रधान समर्थक थे.