पैराडाइज पेपर लीकः एक्शन में सरकार, कई एजेंसियों को लगाया जांच की निगरानी में

नई दिल्ली। विदेशों में काला धन छिपाने के एक और अंतरराष्ट्रीय पर्दाफाश में सैकड़ों भारतीयों के नाम आने के बाद भारत सरकार ने फौरन ही इसकी जांच करवाने के आदेश दे दिए। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर गुजरात व हिमाचल प्रदेश जैसे अहम राज्यों में चुनावी जंग लड़ रही राजग सरकार ने पैराडाइज पेपर्स के नाम से हुए इस खुलासे के तह तक जाने का काम वित्तीय जांच से जुड़ी एजेंसियों व वित्तीय नियामक संस्थानों के प्रतिनिधियों के समूह (मल्टी एजेंसी ग्रूप- एमएजी) को सौंपी है। यह ग्रूप पहले से ही पनामा पेपर्स के तहत काले धन घोटाले के पर्दाफाश की जांच कर रही है। अभी तक पैराडाइज पेपर्स के जरिए जो भी सूचनाएं सामने आई हैं उसके आधार पर सरकार ने देश भर में अपने आय कर विभाग को भी एलर्ट कर दिया है।

खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय कंसोर्टियम (आइसीआइजे) की तरफ से किये गये खुलासे से दुनिया के तमाम देशों की तरह भारत में भी राजनीतिक तापमान सोमवार को काफी चढ़ा। सूची में 714 भारतीयों के नाम सामने आये हैं। इसमें देश से फरार उद्योगपति विजय माल्या के अलावा फिल्म स्टार अमिताभ बच्चन, कारपोरेट लाबिंग करने वाली नीरा राडिया, संजय दत्त की पत्नी दिलनशीं (मान्यता दत्त), राज्य सभा सांसद आर के सिन्हा, नागरिक उड्डयन मंत्री जयंत सिन्हा व अन्य कई उद्योगपतियों व नामी-गिरामी शख्सियतों के नाम शामिल है। आइसीआइजे ने दुनिया भर के लॉ फर्मो के कागजात व सूचनाओं के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की है जिसमें दुनिया के 180 देशों के लोगों के नाम इसमें शामिल है। नाम की संख्या के लिहाज से भारत का स्थान 19वां हैं। आइसीआइजे की रिपोर्ट ने अंदेशा जताया है कि दुनिया भर के लोग अभी भी कर छिपाने वाले देशों में अपनी काली कमाई जमा करा रहे हैं। हालांकि यह भी स्पष्ट किया गया है कि इसमें नाम आने का मतलब यह नहीं है इन लोगों ने काला धन छिपाया ही है।

बहरहाल, मोदी सरकार ने बगैर किसी देरी के सीबीडीटी चेयरमैन की अध्यक्षता वाली एमएजी को पूरा मामला सौंप दिया। इस एमएजी को अप्रैल, 2016 में तब गठित किया गया था जब काले धन को टैक्स छिपाने वाले देशों (टैक्स हैवेन) में छिपाने के एक अन्य मामले ‘पनामा पेपर्स’ का खुलासा हुआ था। वैसे अभी एमएजी की तरफ से जिन लोगों के नाम पनामा पेपर्स में सामने आये थे उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि जिन लोगों या कंपनियों के नाम सामने आये हैं उनमें से कुछ पहले से ही सरकार के रडार पर थे।

कुछ कंपनियों के खिलाफ काला धन विदेशों में छिपाने को लेकर पहले से ही जांच चल रही है। कुछ मामलो में जांच काफी आगे भी बढ़ी है। लेकिन अब यह एजेंसी नए खुलासे को विस्तार से देखेगी। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा है कि ‘आइसीआइजे की तरफ से जैसे जैसे सूचनाएं आती जाएंगी वैसे वैसे कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी।’ एमएजी की अध्यक्षता सीबीडीटी अध्यक्ष कर रहे हैं। इसके अलावा इसमें सीबीडीटी के अन्य अधिकारी, आरबीआइ, प्रवर्तन निदेशालय (आईबी), वित्तीय जांच इकाई (एफआइयू) के प्रतिनिधि होंगे।

सीबीडीटी के सूत्रों के मुताबिक चूंकि यह मामला भी पनामा पेपर्स जैसा ही है इसलिए तर्कसंगत होगा कि एमएजी ही इसकी भी जांच करे। जिस तरह से पनामा पेपर्स के तहत सामने आये नामों की जांच की जा रही है उसी तरह से यहां भी जांच की जाएगी। जितने भी नाम सामने आये हैं उनके पुराने आय कर भुगतान और रिटर्न फाइलों का रिकार्ड खंगाला जा रहा है। चूंकि आइसीआइजे भी थोड़ा थोड़ा करके सूचना जारी करने जा रहा है इसलिए जांच की रफ्तार आने में देर लगेगी।

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