मनमोहन सिंह ने मौजूदा GST को बताया टैक्स आतंकवाद

सूरत: वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को कर आतंकवाद करार देते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार (2 दिसंबर) को कहा कि नोटबंदी के साथ मिलकर इसने सूरत में 31,000 से ज्यादा नौकरियां छीन ली हैं. उन्होंने आश्चर्य जताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने फैसले से गरीबों को हुए दर्द को समझ नहीं पाए. सिंह ने यहां टेक्सटाइल हब में कहा कि मोदी दावा करते हैं कि वह गुजरात और गरीबों को ‘किसी दूसरे से ज्यादा’ समझते हैं, तो यह कैसे हुआ कि ‘वह अपने फैसले से होने वाले गरीबों के दर्द को कभी समझ नहीं पाए.’ सूरत टेक्सटाइल हब की भावना और जीएसटी के कार्यान्वयन के खिलाफ उनके विरोध प्रदर्शन पर सिंह ने कहा, “सूरत ने राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) सरकार के इस अन्याय के खिलाफ भारत के विरोध को आवाज दी है. आखिरकार आप दो महान आत्माओं महात्मा गांधी और सरदार बल्लभभाई पटेल की धरती के हैं.” उन्होंने कहा, “दांडी आपके पास ही है, जहां से महात्मा गांधी ने नमक पर अन्यायपूर्ण ब्रिटिश कर के खिलाफ आवाज उठाने का फैसला किया था. अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना आपके खून में है, जिसे आपने जीएसटी के खराब निष्पादन के खिलाफ एक बार फिर दिखाया है.”

इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दूसरी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 6.3% रहने का स्वागत किया है, लेकिन साथ ही सावधान भी किया कि पिछली पांच तिमाहियों में देखा गया गिरावट का दौर पलट गया है, ऐसा कहना अभी जल्दबाजी होगा. सिंह ने यह भी कहा इस दर पर नरेंद्र मोदी सरकार के लिए संप्रग सरकार के दस साल के शासन की औसत वृद्धि दर की बराबरी कर पाना भी संभव नहीं होगा.

यहां व्यापारियों के साथ एक बातचीत में सिंह ने कहा, ‘जुलाई-सितंबर तिमाही में देश की वृद्धि दर 6.3% रही है. यह स्वागतयोग्य है, लेकिन यह कहना बहुत जल्दबाजी होगी कि पिछली पांच तिमाहियों में देखा गया गिरावट का दौर बीत गया है.’ उन्होंने कहा, ‘कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने नोटबंदी और जीएसटी के अनौपचारिक क्षेत्र पर पड़े प्रभाव का ठीक से आकलन नहीं किया है. यह क्षेत्र देश की अर्थव्यव्स्था का करीब 30% हिस्सा है.’

राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के पूर्व चेयरमैन प्रणव सेन और अर्थशास्त्री एम. गोविंद राव का हवाला देते हुए सिंह ने कहा, ‘जीडीपी की वृद्धि के बारे में अभी भी महत्वपूर्ण अनिश्चिताएं हैं. भारतीय रिजर्व बैंक का अनुमान है कि 2017-18 में अर्थव्यवस्था 6.7% की वृद्धि दर से रफ्तार पकड़ेगी. यदि 2017-18 में यह दर 6.7% होती भी है तो मोदी जी के चार साल के कार्यकाल की औसत वृद्धि दर मात्र 7.1% रहेगी.’

सिंह ने दावा किया कि मोदी सरकार पिछली संप्रग सरकार के 10 साल के शासन की औसत वृद्धि दर की बराबरी करने में भी समर्थ नहीं होंगी. उन्होंने कहा कि बराबरी के लिए मोदी सरकार के अंतिम वर्ष में वृद्धि दर 10.6 प्रतिशत रहेगी. उन्होंने कहा , ‘ऐसा होता है तो मुझे खुशी होगी. पर स्पष्ट कहें तो मुझे नहीं लगता कि ऐसा हो सकेगा.’  पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि जीडीपी में एक प्रतिशत का नुकसान देश का 1.5 लाख करोड़ रूपए का नुकसान है. जिस नौजवान की नौकरी जाती है, जिस दुकानदार का कारोबार बंद होता है. जो कंपनी बंद होती और जो उद्यमी कारोबार से बाहर हो जाता है उसके लिए वह भारी निराशा की बात होती है.

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