इसके कई कारण हो सकते है। शारीरिक तथा मानसिक।
शारीरिक।
खून की कमी के कारण भी नींद ज्यादा आती है। अनेमिया [1] ऐसी ही एक अवस्था है जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं कम होने के कारण ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंचता अंगों में जिसके फल स्वरूप हमें हर समय नींद आती है यां थकान होने लगी है ज्यादा काम किए बगैर। जिसे हम साधारण शब्दों में कहें तो कमज़ोरी होती है।
उपाय: पहले अपने खून की जांच करवा लें। अगर कमी है तो, साधारण खान पान के बदलाव और दवाइयों से ठीक हो सकती है यह अवस्था।
शारीरिक कार्य की कमी यां अधिकता। ज्यादा परिश्रम लगातार आपको पर्याप्त नींद से वंचित रखता है जिसकी वजह से लगातार नींद आती रहती है। उसी तरह बिल्कुल परिश्रम ना करना भी शरीर को सुस्त बना देता है।जिसकी वजह से निरंतर नींद आती है।
इसके अलावा भी कई अवस्थाएं है जैसे,
स्लीप एपने[2] इस अवस्था में श्वास क्रिया नींद के दौरान अस्थ व्यस्थ होती है।और स्वस्थ नींद में बाधा डालती है फलस्वरूप आप सारा दिन आलास महसूस करते है।
RLS [3] इस अवस्था के दौरान भी आपको निरंतर उत्सुकता रहती है जो, एक बेहतर नींद नहीं देे पाती।
नार्कोलेप्सी,[4] ये ऐसी अवस्था है जहां एक सामान्य प्रक्रिया जो नींद आने के लिए होती है, हो नहीं पाती। मतलब आप गहरी नींद नहीं ले पाते निरंतर आंखों की प्रक्रिया(movement) के कारण।
थायरॉयड,[5] इस अवस्था में भी कई बार नींद की अधिकता रहती है। यहां भी चिकित्सक से बेहतर इलाज करके फायदा हो सकता है।
मोटापा, जो की शरीर को अस्वस्थ बनाकर उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय से संबंधित बीमारियां अथवा एसिडिटी को जन्म देता है। जो एक अच्छी नींद में बाधा का काम करके आपको सारा दिन आलस प्रदान करती हैं।
दवाइयां, कभी कभी हम किसी और बीमारी से जुड़ी दवाइयां खा रहे होते है जिनमें नींद आने की दवाई भी मिश्रित होती है जिसका हमे पता नहीं होता। जिससे हमें ज्यादा नींद आती है और हम परेशान होने लगते है।जैसे खुजली यां जुकाम की दवाइयों में अक्सर नींद की दवाई भी शामिल होती है। इसलिए जब भी कोई चिकित्सक आपको कोई दवा देता है, तो उससे पूछ लें कि उस दवा को खाने के कोई दुष्प्रभाव तो नहीं। मसलन नींद आना।
मदिरा का अधिक सेवन करना। यह भी एक कारण है, अपनी नींद की क्रिया को खराब करने का। जिससे सारा दिन निद्रा आती है।
ऊपर अंकित सारी अवस्थाओं का इलाज किसी चिकित्सक द्वारा संभव है।
मानसिक।
अवसाद(depression) बड़ा कारण है अधिक निद्रा का। ज्यादा नींद आना, किसी काम की रुचि ना होना, खानपान में रुचि ना होना, निराशा। मतलब पूरी तरह से अरुचिकर अवस्था।
इस अवस्था से निकलने के लिए आपको मनोचिकित्सक से फौरन मिलना चाहिए इसका इलाज बेहद आसान है। दवाओं और काउंसलिंग द्वारा।
उत्सुकता, एंग्जाइटी। निरंतर दिमाग का चलते रहना, हर बात का परिणाम सोचते रहना, कार्य से पहले यां बाद में उसपर विचार करते रहना। यह अवस्था भी एक बड़ा कारण है।खासकर आजकल की जीवनशैली में।
इसका इलाज भी बेहतर काउंसलिंग( किसी अच्छे मनोचिकित्सक द्वारा), खुद में बदलाव, जीवनशैली में बदलाव, अध्यात्म, योग और कभी कभी दवाओं द्वारा मुमकिन है।
ऊपर दिए गए कारण हो सकते है नींद की अधिकता होने के।
इनमे से कुछ आप स्वयं जांच सकते है और कुछ आपको किसी अच्छे चिकित्सक से संपर्क करके पता लग सकते है।
आज के युग में किसी भी बीमारी यां अवस्था से निदान काफी हद तक मुमकिन है।