नई दिल्ली: केंद्र सरकार की ओर से पेट्रोल, डीजल के उत्पाद शुल्क में दो रुपये प्रति लीटर की कटौती के बाद अब केंद्र चाहता है कि राज्य सरकारें भी इन ईंधनों पर लगने वाले वैट में पांच प्रतिशत की कटौती करें ताकि ग्राहकों को आगे और राहत मिले. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि वित्त मंत्री अरुण जेटली जल्दी ही सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर पेट्रोल, डीजल पर वैट में कटौती का अनुरोध करेंगे. अगर राज्यों ने केंद्र की बात मान ली तो पेट्रोल-डीजल के दामों में और कमी देखने को मिल सकती है.
उन्होंने कहा, “हमने सक्रियता के साथ उत्पाद शुल्क में कटौती की है. अब वैट घटाने की बारी राज्यों की है.” राज्य मूल्य वर्द्धन शुल्क के रूप में वैट लगाते हैं. इससे जब भी कीमतें बढ़ती हैं, वैट भी बढ़ जाता है. प्रधान ने कहा कि केंद्र के उत्पाद शुल्क में कटौती से 26,000 करोड़ रुपये के राजस्व पर असर पड़ेगा.
उन्होंने कहा, “राज्य सर्वाधिक लाभ में हैं. वे वैट तो लेते ही हैं, साथ ही केंद्रीय उत्पाद शुल्क संग्रह में 42 प्रतिशत लेते हैं. केंद्र के बाद जो राशि बचती है, उसका उपयोग राज्यों में केंद्र प्रायोजित योजनाओं के वित्त पोषण के लिये किया जाता है.”
केंद्र ने कल यानी मंगलवार को पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 21.48 रुपये प्रति लीटर से घटाकर 19.48 रुपये प्रति लीटर तथा डीजल पर 17.33 रुपये से घटाकर 15.33 रुपये कर दिया. इस कटौती के बाद बुधवार से पेट्रोल 2.50 रुपये जबकि डीजल कीमतों में 2.25 रुपये प्रति लीटर की कमी आई है.
इंडियन आयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के अनुसार दिल्ली में अब पेट्रोल 68.38 रुपये प्रति लीटर हो गया है. अभी तक यह 70.88 रुपये लीटर था. इसी तरह डीजल 59.14 रुपये से 56.89 रुपये प्रति लीटर पर आ गया है.
आईओसी के निदेशक (वित्त) ए के शर्मा ने कहा कि वैट के प्रभाव को शामिल करने के बाद खुदरा मूल्य में उत्पाद शुल्क से अधिक कटौती हुई है. ईंधन पर उत्पाद शुल्क रिफाइनरी गेट पर लगता है. स्थानीय बिक्रीकर या वैट रिफाइनरी पर कुल लागत, उत्पाद शुल्क और डीलरों को दिए गए कमीशन के आधार पर लगाया जाता है.