भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राजस्थान में चल रहे सियासी उठापटक को लेकर ट्वीट करते हुए कहा कि मेरे पूर्व सहयोगी सचिन पायलट को भी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा दरकिनार कर दिया गया।
नई दिल्ली: भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राजस्थान में चल रहे सियासी उठापटक को लेकर ट्वीट करते हुए कहा कि मेरे पूर्व सहयोगी सचिन पायलट को भी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा दरकिनार कर दिया गया। यह दिखाता है कि कांग्रेस में प्रतिभा और क्षमता की कद्र बहुत कम है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच बढ़ती दूरियों की चर्चाओं के बीच मुख्यमंत्री के नेतृत्व में विश्वास जताने के लिये रविवार को राज्य के कई मंत्रियों और विधायकों ने मुख्यमंत्री के निवास पर पहुंच कर मुख्यमंत्री से मुलाकात की और स्थिति पर चर्चा की। वहीं दूसरी ओर पार्टी सूत्रों के अनुसार उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के नजदीकी माने जाने वाले कुछ कांग्रेस के विधायक दिल्ली चले गये है।
30 कांग्रेसी विधायक और कुछ निर्दलीय विधायक सचिन पायलट के संपर्क में हैं और उन्होंने जो भी फैसला किया है, उस पर अपना समर्थन दें: सूत्र pic.twitter.com/nUFCC3Wy2d
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 12, 2020
राज्य में राजनीतिक घटनाक्रम उस समय बदला जब गहलोत ने भाजपा पर राज्य सरकार को गिराने के लिए कांग्रेस के विधायकों को लुभाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। भाजपा ने मुख्यमंत्री के दावे को खारिज करते हुए कहा कि जब से दिल्ली में कांग्रेस नेतृत्व ने मुख्यमंत्री पद के लिए अधिक वरिष्ठ नेता को चुना है। यह गहलोत और पायलट के बीच एक शक्ति संघर्ष को दर्शाता है।
राजधानी जयपुर में राजस्व मंत्री हरीश चौधरी, श्रम मंत्री टीकाराम जूली, स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा सहित कई विधायकों ने रविवार को मुख्यमंत्री आवास पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की और वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की। सूत्रों ने बताया कि मंत्रीगण और विधायक मुख्यमंत्री से मुलाकात कर रहे हैं। पार्टी के अधिकतर विधायक और निर्दलीय विधायक शनिवार से मुख्यमंत्री से मुलाकात कर रहें हैं। पायलट के करीबी सूत्रों ने कहा कि एसओजी के पत्र ने राजस्थान कांग्रेस के प्रमुख को परेशान कर दिया।
पायलट इससे जाहिरा तौर परेशान हैं। रविवार को गहलोत ने एक ट्वीट में जोर देकर कहा कि नोटिस कई लोगों को दिये गये है। उन्होंने इस संबंध में पायलट का नाम नहीं लिया, लेकिन कहा कि मीडिया के एक वर्ग ने नोटिस की गलत तरीके से व्याख्या की है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एसओजी) अशोक राठौड़ ने रविवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि एसओजी ने मुख्यमंत्री, उप-मुख्यमंत्री, सरकारी मुख्य सचेतक और कुछ अन्य विधायकों को नोटिस जारी किये हैं। यह प्रक्रिया का एक हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि जांच आगे बढ़ने के साथ ही अन्य को भी नोटिस जारी किए जा सकते हैं। नोटिस जिन विधायकों को जारी किये गये है उनमें बाबूलाल नागर भी शामिल हैं। निर्दलीय विधायक बाबूलाल नागर ने बताया कि हम सभी कल से मुख्यमंत्री से मिल रहे हैं ताकि उनके नेतृत्व में विश्वास व्यक्त कर सकें। विधायकों को गहलोत के नेतृत्व पर भरोसा है। नागर ने बताया कि उन्हें भी राजस्थान पुलिस की विशेष शाखा एसओजी की ओर से बयान देने के लिये नोटिस प्राप्त हुआ है। मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद राज्य के खेल मंत्री अशोक चांदना ने कहा कि सरकार को गिराने के लिये जो भी काम कर रहा है या जो ऐसी प्रक्रिया के बारे में सोच रहा है उन्हें मध्यप्रदेश से सीख लेनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में चार महीने पहले जिन लोगो ने त्यागपत्र दिया था उनके साथ भाजपा में अच्छा व्यवहार नहीं हो रहा है। चांदना ने बिना किसी का नाम लिये कहा कि पार्टी लाइन को पार करने वाले किसी भी व्यक्ति का दुनिया में कहीं भी सम्मान नहीं होगा। यह पीढ़ियों से अर्जित सम्मान को खोने का समय नहीं है। उपमुख्य सचेतक महेन्द्र चौधरी ने कहा कि यह सब भाजपा द्वारा किया गया षडयंत्र है, जो बेनकाब हो गया है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने अशोक गहलोत नेतृत्व वाली राज्य सरकार को गिराने का षडयंत्र किया है, लेकिन षडयंत्र बेनकाब हो गया है। सरकार अपना पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करेगी।
एसओजी की कार्यवाही के साथ साथ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरों ने सरकार को अस्थिर करने के कथित आरोपो की जांच शुरू कर दी है। वहीं सत्ताधारी कांग्रेस सरकार ने शनिवार को तीन निर्दलीय विधायकों खुशवीर सिंह, ओमप्रकाश हुडला, और सुरेश टॉक से अपने आप को दूर कर लिया। तीनों विधायकों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरों ने भाजपा की ओर से सरकार को अस्थिर करने के लिये विधायकों को धन का प्रलोभन देने के मामलें में प्रारंभिक जांच का मामला दर्ज किया था।
एसओजी ने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और सरकारी मुख्य सचेतक को इस मामलें में उनके बयान दर्ज करवाने के लिये पहले से ही नोटिस जारी कर दिये हैं। एसओजी ने सरकार को अस्थिर करने के प्रयास के मामले में दो मोबाइल नंबरों पर हुई बातचीत के तथ्यों के आधार पर एक स्वप्रेरित प्राथमिकी शुक्रवार को दर्ज की थी। राज्य में सत्ताधारी कांग्रेस सरकार को सभी 13 निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है। इन सभी विधायकों ने पिछले महीने राज्य सभा के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में मतदान किया था, लेकिन अब सरकार इनसे दूरी बना रही है।
सूत्रों के अनुसार सरकार इन्हें अब समर्थक नहीं मान रही है। राजनीतिक संकट उस समय पैदा हुआ जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रेस कॉफ्रेंस कर भाजपा नेतृत्व पर उनकी सरकार गिराने का प्रयास का आरोप लगाया था। भाजपा के नेताओं ने आरोपो का खंडन करते हुए कहा यह कांग्रेस पार्टी की अंदरुनी लडाई का परिणाम है। उन्होंने यह आरोप एसओजी द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर लगाये है।
मुख्यमंत्री द्वारा लगाये आरोपों के तुरंत बाद भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि यह अंदरुनी लडाई का परिणाम है क्योंकि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच चल रही खींचतान के कारण हो रहा है। गहलोत द्वारा लगाए गए सभी आरोपों से भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है। राजनीतिक घटनाक्रम के बीच उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट के वफादार पार्टी के कुछ विधायक दिल्ली चले गये। उल्लेखनीय है कि 200 सीटों वाली राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के 107 विधायक हैं और पार्टी को कई निर्दलीय विधायकों और अन्य पार्टियों के विधायकों का समर्थन प्राप्त है।
Sad to see my erstwhile colleague, @SachinPilot too, being sidelined and persecuted by Rajasthan CM, @ashokgehlot51 . Shows that talent and capability find little credence in the @INCIndia .
— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) July 12, 2020
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