नई दिल्ली: रीयल्टी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी डीएलएफ को उसकी समूह कंपनी डीएलएफ साइबर सिटी डेवलपर्स लिमिटेड (डीसीसीडीएल) में प्रवर्तकों की पूरी 40 प्रतिशत हिस्सेदारी 11,900 करोड़ रुपये में बेचने के लिये शेयरधारकों की मंजूरी मिल गई है. देश के रीयल एस्टेट क्षेत्र में इस सौदे को सबसे बड़ा माना जा रहा है. सौदे के तहत डीसीसीडीएल में 33.34 प्रतिशत हिस्सेदारी को सिंगापुर के सरकारी संपत्ति कोष जीआईसी को 8,900 करोड़ रुपये में बेचा जायेगा और शेष हिस्सेदारी को डीसीसीडीएल खुद 3,000 करोड़ रुपये में बॉयबैक करेगी.
बंबई शेयर बाजार को भेजी सूचना में डीएलएफ ने कहा है कंपनी की शुक्रवार (29 सितंबर) को हुई वार्षिक आम बैठक में एक विशेष प्रस्ताव के तहत इस सौदे को मंजूरी दे दी गई. बैठक में 99.96 प्रतिशत शेयरधारकों ने प्रस्ताव के पक्ष में मत दिया. प्रवर्तकों की जिनकी डीएलएफ में 75 प्रतिशत हिस्सेदारी है, ने प्रस्ताव में वोट नहीं दिया.
डीएलएफ के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक (वित्त) सौरभ चावला ने कहा, ‘‘संस्थागत निवेशकों ने इस रणनीतिक सौदे को भारी समर्थन दिया. यह सौदा कंपनी के लिये ‘पासा पलटने’ वाला साबित हो सकता है. इससे न केवल आपसी हितों का टकराव दूर होगा और कंपनी के कर्ज में भी भारी कमी आयेगी बल्कि यह कंपनी में नकदी प्रवाह भी बनायेगा.’’
चावला ने कहा, ‘‘हम अपने आवासीय और व्यावसायिक कारोबार को अलग अलग रखना चाहते हैं. आवासीय कारोबार शतप्रतिशत डीएलएफ द्वारा संभाला जायेगा वहीं वाणिज्यिक व्यावसाय को जीआईसी के साथ संयुक्त उद्यम के तहत चलाया जायेगा.’’
डीएलएफ के प्रवर्तक -के पी सिंह और परिवार- ने पिछले महीने डीसीसीडीएल में अपनी पूरी 40 प्रतिशत हिस्सेदारी को 11,900 करोड़ रुपये में बेचने और प्राप्त होने वाली राशि को डीएलएफ में कर्ज लौटाने के लिये डालने का फैसला किया. इस सौदे के बाद डीएलएफ साइबर सिटी डेवलपर्स लिमिटेड (डीसीसीडीएल) में डीएलएफ की 66.66 प्रतिशत और जीआईसी, सिंगापुर की 33.34 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी.