वाजपेयी का फॉर्मूला अपनाकर पाकिस्तान की सत्ता पाने की तैयारी

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने 23 राजनीतिक दलों का एक ‘‘महागठबंधन’’ बनाया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस महागठबंधन का नाम पाकिस्तान अवामी इत्तेहाद (पीएआई) होगा और इसी अध्यक्षता 74 वर्षीय मुशर्रफ करेंगे जबकि इकबाल डार को महासचिव के नियुक्त किया गया है. स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार दुबई से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि मुहाजिर समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाली सभी पार्टियों को एकजुट होना चाहिए. उल्लेखनीय है कि भारत के प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने देश में अपनी सरकार बनाई थी, जिसमें 20 से ज्यादा दलों का गठबंधन था.

उन्होंने मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) और पाक सरजमीं पार्टी (पीएसपी) को इस नये राजनीतिक गठबंधन में शामिल होने का न्योता दिया. गठबंधन की प्रकृति के बारे में उन्होंने कहा कि सभी सदस्य पार्टियां एक ही नाम से एकसाथ चुनाव लड़ेंगी. मुशर्रफ ने उन रिपोर्ट से इनकार किया कि वह एमक्यूएम की अगुवाई करने जा रहे हैं और दावा करते हुए कहा, यह सोचना हास्यास्पद है कि मैं किसी ‘‘अल्पसंख्यक, जातीय पार्टी’’ की अगुवाई करूंगा.

उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘एमक्यूएम-पाकिस्तान का जो अस्तित्व (मूल रूप में) हुआ करता था वह अब सिर्फ उसकी आधी रह गयी है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं पार्टी की (आंतरिक समस्याओं) के बारे में चिंतित हूं. अगर उनकी पार्टी एकजुट रहती है तो फारुक सत्तार या मुस्तफा कमाल को बदलने में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है.’’ एमक्यूएम की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी और मुहाजिर समुदाय सम्मान खो चुके हैं.

उन्होंने उम्मीद जतायी कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-क़ायद के नेता चौधरी शुजात एवं चौधरी परवेज इलाही भी उनके महागठबंधन में शामिल होंगे. पूर्व राष्ट्रपति ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान को भी ऐसे समूह से हाथ मिलाने की सलाह दी जो पाकिस्तान को उन्नति की दिशा में ले जाये, जबकि सिर्फ अपनी पार्टी के बारे में सोचने के लिये उनकी आलोचना भी की.

आगरा शिखर वार्ता में हुई थी वाजपेयी और मुशर्रफ की मुलाकात:
1999 में कारगिल युद्ध के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर 2001 में 14 से 16 जुलाई के बीच आगरा शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया था, जिसमें शामिल होने के लिए पाकिस्तान के तत्कालीन तानाशाह व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ भारत पहुंचे थे जहां उनकी मुलाकात तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से होनी थी. इस सम्मेलन में खासतौर पर कश्मीर विवाद, सीमा पार से आतंकवाद और परमाणु हथियार जैसे अहम मुद्दों पर बात होनी थी, लेकिन किसी वजह से वार्ता विफल रही और आगरा शिखर सम्मेलन अपने लक्ष्यों को पाने में नाकामयाब रहा.

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