राजस्थान के चुनावी नतीजे आ रहे थे और जयपुर में राजनीति का फ़ोकस तीन जगहों पर मँडरा रहा था.
पहला पड़ाव: प्रदेश कांग्रेस के मुख्यालय पर सुबह से समर्थकों का जमावड़ा था. जैसे-जैसे टीवी स्क्रीन पर आँकड़े आ रहे थे भीड़ सोनिया जी की जय-राहुल गांधी ज़िंदाबाद के नारे लगा रही थी.
इसी बीच “हमारा नेता कैसा हो, सचिन पायलट जैसा हो”, के स्वर भी बुलंद हो उठते थे.
प्रदेश पार्टी मुख्यालय में सचिन के दर्जनों पोस्टर लगे हैं और वहाँ पर ज़्यादातर की राय है कि पार्टी को सचिन पायलट के मुख्यमंत्री पद पर मुहर लगा देनी चाहिए.
ज़ाहिर है, पिछले चार वर्षों से सचिन ने राजस्थान को अपनी कर्मभूमि बना रखा है और प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते इस दफ़्तर में विराजमान रहे हैं.
कांग्रेस की कार्यकर्ता आरिफ़ा ने कहा, “हमारी पार्टी में फ़ैसले शीर्ष नेता करते हैं. सचिन जी ने लेकिन पार्टी में नई जान ज़रूर फूँक दी”.
दूसरा पड़ाव: कांग्रेस मुख्यालय से सिर्फ़ पंद्रह मिनट की दूरी पर राजस्थान का मुख्यमंत्री निवास जिसके बग़ल में ही अशोक गहलोत का बंगला है.
दो बार प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते ये सरकारी घर उन्हें मिला हुआ है और मंगलवार सुबह से सैंकड़ों समर्थकों ने यहाँ डेरा डाल रखा था.
ज़्यादातर के हाथ में अशोक गहलोत की तस्वीर वाले फ़ेस मास्क थे और सभी को इस बात का भरोसा भी था कि पार्टी आला कमान राजस्थान की अगली सरकार की बागडोर गहलोत को ही देगी.
ख़ुद अशोक गहलोत बीच में बाहर आए और मेरे इस सवाल पर कि सीएम पद पर फ़ैसला कब होगा, बोले, “हमारे यहाँ ये फ़ैसले पार्टी लेती है”.
प्रह्लाद कुमार मीणा नामक उनके एक समर्थक अपने झोले में पटाख़े लिए घूम रहे थे. उन्होंने कहा, “इंतज़ार है साहब की घोषणा का, बस. पूरे जयपुर में गूँज सुनाई देगी”.
इस बीच पीछे नारा लग रहा था, “ये गहलोत नहीं एक आँधी है, राजस्थान का गांधी है”.