ढाका: विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गहराते रोहिंग्या संकट के बीच रविवार को कहा कि भारत म्यामांर र के रखाइन प्रांत में बेतहाशा हिंसा पर ‘बहुत चिंतित’ है और म्यामांर में विस्थापित लोगों की वापसी से ही सामान्य स्थिति बहाल हो सकती है. बीते अगस्त महीने में म्यामांर के रखाइन में हिंसा भड़कने के बाद करीब 6,00,000 लाख रोहिंग्या मुसलमान भाग कर बांग्लादेश पहुंचे. म्यामांर रोहिंग्या लोगों को एक जातीय समूह के तौर पर मान्यता नहीं देता. उसका कहना है कि रोहिंग्या बांग्लादेश से आए प्रवासी हैं जो उसके यहां अवैध रूप से रह रहे हैं. बांग्लादेश ने इस मामले के समाधान के लिए भारत से म्यांमार पर दबाव बनाने की मांग की है.
सुषमा ने बांग्लादेश के साथ संयुक्त सलाहकार आयोग की वार्ता के बाद कहा, ‘‘म्यामांर के रखाइन प्रांत में बेतहाशा हिंसा को लेकर भारत बहुत चिंतित है.’’ बहरहाल, उन्होंने ‘रोहिंग्या’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया, लेकिन यह कहा, ‘‘हमने आग्रह किया है कि लोगों की भलाई को ध्यान में रखते हुए हालात से संयम के साथ निपटा जाए.’’ वह अपने बांग्लादेशी समकक्ष अब्दुल हसन महमूद अली के निमंत्रण पर दो दिनों की यात्रा पर बांग्लादेश पहुंची हैं.
: सुषमा स्वराज दो दिन की बांग्लादेश यात्रा पर पहुंचीं ढाका
सुषमा ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि विस्थापित लोगों के रखाइन प्रांत में लौटने के साथ ही सामान्य स्थिति बहाल होगी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘रखाइन प्रांत में स्थिति का दीर्घकालीन समाधान यह है कि वहां सामाजिक-आर्थिक विकास और बुनियादी ढांचे का विकास हो. इसका प्रांत में रहने वाले सभी समुदायों पर सकारात्मक असर होगा.’’ अली ने कहा कि ढाका भारत की ओर ये यह भरोसा दिलाए जाने से खुश है कि वह बांग्लादेश में रोहिंग्या संकट को लेकर किए जा रहे मानवीय कार्य में लगातार सहयोग करता रहेगा.
उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत से आग्रह करते हैं कि वह म्यामांर पर सतत दबाव बनाए रखने की दिशा में योगदान दे ताकि सभी रोहिंग्या की उनकी मातृभूमि पर वापसी सहित शांतिपूर्ण समाधान निकाला जा सके.’’ सुषमा ने कहा कि भारत रखाइन प्रांत में चिन्हित परियोजनाओं के लिए वित्तीय एवं तकनीकी सहयोग प्रदान करने को प्रतिबद्ध है. उन्होंने रोहिंग्या संकट को लेकर भारत की ओर से उठाए गए कदम का उल्लेख करते हुए कहा कि बांग्लादेश के सहयोग के लिए ‘ऑपरेशन इंसानियत’ की शुरुआत की गई .