2017 के विधानसभा चुनावों में, 182 में से 150 सीट जीतने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने के बावजूद, भाजपा महज 99 सीट पर जीत के साथ राज्य में अपनी सत्ता बरकरार रख पाई।
अहमदाबाद: गुजरात में एक बार फिर सभी की निगाहें कम संख्या वाले पर प्रभावशाली पाटीदार (पटेल) समुदाय पर टिकी हुई हैं, जिसने 2017 के विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की जीत की राह कठिन कर दी थी। पाटीदार समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर हार्दिक पटेल के नेतृत्व में किए गए आंदोलन का प्रभाव पिछले विधानसभा चुनाव पर देखने को मिला था।
ज्यादातर मतदाता बीजेपी को करेंगे वोट
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पाटीदार समुदाय के ज्यादातर मतदाता इस बार भाजपा को वोट देंगे, जबकि आरक्षण की मांग को लेकर चलाए गए आंदोलन के पूर्व नेताओं का मानना है कि पाटीदार समुदाय के कई युवा मतदाता आम आदमी पार्टी (आप) जैसे अन्य विकल्पों का रुख कर सकते हैं। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों में, 182 में से 150 सीट जीतने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने के बावजूद, भाजपा महज 99 सीट पर जीत के साथ राज्य में अपनी सत्ता बरकरार रख पाई। समझा जाता है कि भाजपा के खिलाफ हार्दिक पटेल के तूफानी चुनाव प्रचार अभियान के कारण विपक्षी कांग्रेस 77 सीट पर विजेता बन कर उभरी थी।
50 सीट पर पाटीदारों का दबदबा
पाटीदार समुदाय के अनुमान के अनुसार, गुजरात में लगभग 40 सीट ऐसी हैं जहां पाटीदार मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। समुदाय के कुछ नेताओं का दावा है कि 50 सीट पर उनका दबदबा है। हालांकि, गुजरात की आबादी में पटेल समुदाय की हिस्सेदारी लगभग 18 प्रतिशत है, लेकिन 2017 में 44 पाटीदार विधायक चुने गए, जो गुजरात की राजनीति में उनके प्रभाव को दर्शाता है।
सौराष्ट्र इलाके में पाटीदार मतदाता सबसे ज्यादा
सौराष्ट्र क्षेत्र में पाटीदार मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है, जिनमें – मोरबी, टंकारा, गोंडल, धोरजी, अमरेली, सावरकुंडला, जेतपुर, राजकोट पूर्व, राजकोट पश्चिम और राजकोट दक्षिण सीट शामिल हैं। उत्तरी गुजरात में वीजापुर, विसनगर, मेहसाणा और उंझा विधानसभा क्षेत्रों में पाटीदार मतदाताओं की अच्छी-खासी संख्या है। वहीं, अहमदाबाद शहर में ऐसी कम से कम पांच सीट हैं, जिनके नाम घाटलोडिया, साबरमती, मणिनगर, निकोल और नरोदा हैं। दक्षिण गुजरात में, सूरत शहर की कई सीट को पाटीदार समुदाय का गढ़ माना जाता है, जिनमें वराछा, कामरेज और कटारगाम शामिल हैं।
पाटीदार आंदोलन के चलते 2017 में बीजपी को कम सीटें मिलीं
कई लोगों का मानना है कि यह पाटीदार आरक्षण आंदोलन की और इससे जुड़ा लोगों का रोष ही था, जिसके चलते 2017 में कई पाटीदार बहुल सीट पर भाजपा को शिकस्त मिली। इनमें मेहसाणा जिले में उंझा और सौराष्ट्र क्षेत्र में मोरबी और टंकारा सीट शामिल हैं। आगामी विधानसभा चुनावों के लिए, भाजपा ने 41 पाटीदारों को टिकट दिया है, जो कांग्रेस की संख्या से एक अधिक है। आम आदमी पार्टी ने भी बड़ी संख्या में पाटीदारों को टिकट दिया है।
अतीत को भुला बीजेपी का समर्थन करेगा पाटीदार समुदाय?
राजनीतिक विश्लेषक रवींद्र त्रिवेदी के अनुसार, यह संभावना अधिक है कि पाटीदार समुदाय अतीत को भुला देगा और इस बार भाजपा का समर्थन करेगा। त्रिवेदी ने कहा, ‘2022 का चुनाव 2017 से अलग है, उस समय आरक्षण की मांग को लेकर किया गया आंदोलन चुनावों का मुख्य मुद्दा था। इस बार आंदोलन का कोई प्रभाव नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘भाजपा ने पिछले साल भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बना कर पाटीदार समुदाय को लुभाने की कोशिश की थी और यह घोषणा की कि वह चुनाव के बाद भी इस पद पर बने रहेंगे। इसलिए, कई पाटीदार यह सोच रहे हैं कि यदि वे अगला मुख्यमंत्री अपने समुदाय के एक नेता को देखना चाहते हैं तो उन्हें इस बार भाजपा का समर्थन करना चाहिए।’
गुजरात में पाटीदारों की आबादी 18 प्रतिशत
जामनगर के सिदसर उमियाधाम ट्रस्ट के अध्यक्ष जयराम पटेल के मुताबिक, गुजरात की आबादी में पाटीदार समुदाय की हिस्सेदारी महज 18 प्रतिशत है लेकिन यह अपनी संख्या की तुलना में कहीं अधिक प्रभाव रखती है। हालांकि, कांग्रेस को भी पटेलों को समर्थन मिलने की उम्मीद है। कांग्रेस की गुजरात इकाई के प्रवक्ता मनीष दोशी ने कहा ‘ किसानों की दशा, महंगाई, बेरोजगारी, अत्यधिक स्कूल फीस, खराब स्वास्थ्य सुविधाओं से हर किसी के प्रभावित होने को लेकर हमें ना सिर्फ पाटीदार का, बल्कि सभी समुदायों से समर्थन मिलने की उम्मीद है।’
वहीं, भाजपा की गुजरात इकाई के प्रवक्ता किशोर मकवाना ने कहा, ‘पाटीदार हमेशा से भाजपा के साथ रहे हैं। उनके समर्थन से भाजपा पिछला सारा रिकार्ड तोड़ देगी और चुनाव बाद सरकार बनाएगी।’ हालांकि, पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के संयोजक दिनेश बंभानिया ने दावा किया कि युवा पटेल मतदाता नये विकल्प तलाश सकते हैं और इस बार आप का समर्थन कर सकते हैं।
Over the last few days, I’ve travelled across the length and breadth of Gujarat. Wherever I went, I have received tremendous affection. People have seen the development in the last two decades and want this trajectory to continue. pic.twitter.com/qs7Z3a7Z5e
— Narendra Modi (@narendramodi) December 3, 2022
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