अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ शुक्रवार को फोन पर हुई बातचीत में कश्मीर मामले पर भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय वार्ता के जरिए तनाव कम किए जाने की महत्ता पर बल दिया। जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा हटाने और उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के भारत के फैसले को लेकर न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बंद कमरे में हुई बैठक से पहले ट्रम्प और इमरान ने फोन पर बातचीत की।
बैठक के बाद व्हाइट हाउस के उप प्रेस सचिव होगान गिडले ने एक बयान में कहा, ”राष्ट्रपति ने जम्मू-कश्मीर में हालात के संबंध में भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय वार्ता के जरिए तनाव कम करने की महत्ता बताई।” उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं ने अमेरिका और पाकिस्तान के बीच बढ़ते संबंधों को आगे बढाने के तरीकों पर चर्चा की।
इससे पहले, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने इस्लामाबाद में कहा कि खान ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सुरक्षा परिषद की बैठक के संबंध में अमेरिकी राष्ट्रपति को “भरोसे में” लिया है। रेडियो पाकिस्तान ने कुरैशी के हवाले से कहा, “प्रधानमंत्री खान ने कश्मीर के ताजा घटनाक्रम और क्षेत्रीय शांति पर इसके खतरे के संबंध में पाकिस्तान की चिंता से अवगत कराया है।”
वहीं दूसरी ओर, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान को अनुच्छेद 370 पर मुंह की खानी पड़ी है। चीन को छोड़कर अन्य किसी भी देश ने पाकिस्तान का कश्मीर मुद्दे पर साथ नहीं दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, रूस ने कश्मीर को भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मामला बताया। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, कश्मीर में अनुच्छेद 370 को लेकर चीन और पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र की गोपनीय बैठक में भारत पर आरोप मढ़ा, लेकिन उसे अन्य देशों का सहयोग नहीं मिला।
बैठक के बाद संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत झांग जुन ने भारत और पाकिस्तान से अपने मतभेद शांतिपूर्वक सुलझाने और ”एक दूसरे” को नुकसान पहुंचा कर फायदा उठाने की सोच त्यागने की अपील की। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के मामले पर चीन का रुख बताते हुए कहा, ”भारत के एकतरफा कदम ने उस कश्मीर में यथास्थिति बदल दी है जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक विवाद समझा जाता है।”
कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा हटाने और लद्दाख को एक अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाने के भारत के कदम का विरोध करते हुए उन्होंने कहा, ”भारत के इस कदम ने चीन के संप्रभु हितों को भी चुनौती दी है और सीमावर्ती इलाकों में शांति एवं स्थिरता बनाने को लेकर द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन किया है। चीन काफी चिंतित है।” रूस के उप-स्थायी प्रतिनिधि दिमित्री पोलिंस्की ने बैठक कक्ष में जाने से पहले संवाददाताओं से कहा कि मॉस्को का मानना है कि यह भारत एवं पाकिस्तान का ”द्विपक्षीय” मामला है। उन्होंने कहा कि बैठक यह समझने के लिए की गई है कि क्या हो रहा है।