अमिताभ बच्चन को जो चीज प्रभावित करती है, वे उसकी खुलकर प्रशंसा करते हैं. इस समय वे एक टीवी सीरीज के सम्मोहन में डूबे हैं. ये है ब्रिटिश पीरियड ड्रामा टीवी सीरीज ‘द क्राउन’.
अमिताभ इस टीवी सीरीज के किरदारों से बेहद प्रभावित हैं. उन्होंने अपने ब्लॉग पर लिखा है कि वे इन किरदारों के स्वाभाव को आत्मसात करते हैं. हालांकि, उन्होंने इन किरदारों का जिक्र नहीं किया है. बिग बी लिखते हैं, इस सीरीज के किरदार अपने आप ही दर्शकों को प्रभावित करने लगते हैं. ये इतने अचरज भरे हैं कि परिवार के सदस्य आपके आसपास आ जाते हैं और पूछते हैं कि आप ठीक तो होना? मेरा मतलब है कि मैं ठीक हूं, लेकिन इस सीरियल के जो किरदार ठीक नहीं हैं. वे किसी तरह हम में बने रहते हैं और हम खुद को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में पुनर्जीवित करते हैं.
अमिताभ ने आगे लिखा, मैं इस सीरियल को देखते हुए खुद को रानी एलिजाबेथ2 के समय का एक किरदार समझने लगा था. उसमें शामिल महसूस किया, जो घटनाएं उस समय हुईं. हम अपने आचरण से थोड़े राजकुमार बन जाते हैं. बता दें कि ये टीवी सीरीज ब्रिटिश रॉयल फैमिली और रानी एलिजाबेथ2 के समय की कहानी है. ये 20वीं सदी के उत्तरार्ध की कहानी है. इसमें उनकी शुरुआत से लेकर अब तक की कहानी बताई गई है.
मुंबई के कमला मिल के पब में आग लगने की दिल दहला देने वाली घटना में 14 लोगों की मौत हो गई. इस दर्दनाक हादसे पर सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले बिग बी की ओर से कोई संदेश नहीं आया. इस बात से उनके एक नाराज फैन ने कड़े शब्दों में अपनी शिकायत दर्ज की है. अपने फैन की शिकायत का जवाब भी अमिताभ बच्चन ने दिया. यही नहीं उन्होंने ये पूरा वाकया सोशल मीडिया पर पोस्ट किया.
रोहित बोराडे नाम के शख्स ने फेसबुक पर लिखा कि मुंबई रहकर कभी किसी दूर्घटना के बारे में, न ही ट्वीट किया न फेसबुक पोस्ट… न ही कभी संवेदनाएं व्यक्त की. पैसा ही सबकुछ नहीं है. मैं हमेशा फैन रहूंगा.
इस पोस्ट के बाद महानायक अमिताभ बच्चन ने बड़े ही विनम्र भाव से जवाब देते हुए लिखा, सही कहा आपने, नहीं करता मैं. क्योंकि यहां सिर्फ संवेदनाओं का प्रचार होता होगा, असली संवेदना नहीं. यहां संवेदना दिखावा है…लोगों के लिए.. लेकिन क्या किया उसके लिए? आप बताएं, आप क्या कर सकते हैं ऐसी दुर्घटना से? जब कुछ करना होता है मैं करता हूं. आपको या किसी और को नहीं बोलूंगा, क्योंकि वो प्रचार होगा… संवेदना नहीं. पैसे के साथ ऐसी दुर्घटना या अपने विचारधारा मत जोडें… ऐसा करके आप स्वयं अपनी कमजोरी व्यक्त कर रहे हैं. बाबू जी की कविता पढ़िए इस पार .. ‘क्या करूं संवेदना लेकर तुम्हारी क्या करूं’