पहली बार: नए कानून में फंसे GST के बड़े ‘मुनाफाखोर’

नई दिल्ली
गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के अधीन ऐंटि-प्रॉफिटियरिंग लॉ के तहत पहली बार कुछ संस्थानों को नोटिस जारी किया गया है। इसकी पहली चपेट में पश्चिम और दक्षिण भारत में मैकडॉनल्ड्स की फ्रेंचाइजी हार्डकासल रेस्ट्रॉन्ट्स, लाइफस्टाइल इंटरनैशल का एक रिटेलर आउटलेट और एक होंडा डीलर जैसे संस्थान आए हैं। इन व्यावसायिक संस्थानों पर जीएसटी में घटे दाम का फायदा ग्राहकों को नहीं देने का आरोप है।

डीजी सेफगार्ड्स ने कम-से-कम पांच ऐसे संस्थानों को नोटिस जारी किए। इनमें गुड़गांव की रियल एस्टेट कंपनी पिरामिड इन्फ्राटेक और जयपुर के एक संस्थान शर्मा ट्रेडिंग के नाम शामिल हैं। शर्मा ट्रेडिंग पर आरोप है कि उसने 15 नवंबर को जीएसटी रेट घटाकर 18% किए जाने के बाद भी वैसलीन पर 28% टैक्स वसूला।

लेकिन हार्डकासल रेस्ट्रॉन्ट्स के खिलाफ जारी नोटिस पूरे सेक्टर में खलबली मचा सकता है। दरअसल, शिकायत में कहा गया है कि जीएसटी दर 18 प्रतिशत से घटकर 5 प्रतिशत होने के बाद भी कॉफी के दाम नहीं घटाए गए और एक कप कॉफी के लिए 142 रुपये लिए गए। कुछ रेस्ट्रॉन्ट्स ने मेन्यु प्राइस बढ़ा दी थी जिससे जीएसटी रेट घटने से हुए फायदे का बेहद छोटा हिस्सा ही ग्राहकों तक पहुंच पाया। इस मुद्दे पर सरकार के प्रयास सफल नहीं हो सके।

एक ओर डीजी सेफगार्ड्स ने 29 दिसंबर को नोटिस जारी कर जांच शुरू कर दी है, तो दूसरी ओर हार्डकासल रेस्ट्रॉन्ट्स का कहना है उसे कोई नोटिस नहीं मिला है। उसने कहा, ‘हमें इस तरह की कोई सूचना नहीं मिली है। कानून का पालन करनेवाले कॉर्पोरेट के तौर पर हम लागू नियमों को मानते हैं और पूछताछ किए जाने पर हम जवाब देंगे।’

लाइफस्टाइल इंटरनैशनल के खिलाफ शिकायत गाजियाबाद स्थित मॉल में उसके एक रिटेलर आउटलेट से संबंधित है। आरोप है कि इसने 22 नवंबर को उसने 28% जीएसटी लिया जबकि एक सप्ताह पहले 15 नवंबर को ही जीएसटी दर घटाकर 18% कर दी गई थी। लाइफस्टाइल इंटरनैशनल ने मामले पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया।

इसी तरह, पीरामिड इन्फ्राटेक ने कहा कि 36 बायर्स ने इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा नहीं देने का आरोप लगाया जबकि हरियाणा अफोर्डेबल हाउजिंग स्कीम के तहत बुक किए गए फ्लैट्स पर ज्यादा छूट दी गई थी। इनके अलावा, उत्तर प्रदेश के बरेली स्थित एक कार डीलर के खिलाफ शिकायत में कहा गया है कि अप्रैल में बुक की गई होंडा कार की डिलिवरी जुलाई में दी गई जब जीएसटी लागू हो चुका था।

इन सभी मामलों में ऐंटि-प्रॉफिटियरिंग पर बनी स्टैंडिंग कमिटी ने संज्ञान लिया है। ऐसे मामलों में कानून के तहत जुर्माने का प्रावधान है ताकि जीएसटी की वजह से हुए फायदे को ग्राहकों तक पहुंचना सुनिश्चित किया जा सके। बहरहाल, सभी संस्थानों को दस्तावेजों के साथ जवाब दिए जाने को कहा गया है।

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