रिपब्लिक टीवी के एडिटर अर्णब गोस्वामी की याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान अर्णब की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की कथित मानहानि को लेकर उनके क्लाइंट के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर सही तरीके से जांच नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि मुंबई पुलिस ने अर्णब से 12 घंटे तक पूछताछ की और इस दौरान उनसे यह भी पूछा गया कि चैनल के लिए पैसा कहां से आया।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने 14-15 अप्रैल को रिपब्लिक टीवी पर प्रसारित हुए कार्यक्रम को लेकर अर्णब गोस्वामी के खिलाफ 2 मई को मुंबई में दर्ज एफआईआर को रद्द कराने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता अर्णब गोस्वामी के वकील हरीश साल्वे ने कहा, ”याचिकाकर्ता के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज कराए गए हैं। इस मामले में जांच की प्रकृति ने स्पष्ट कर दिया है कि यह याचिकाकर्ता के खिलाफ एक रणनीति है।”
This is a very irresponsible piece of news. #COVID19 does not see people's caste, creed or religion: Union Health Ministry Joint Secretary Lav Agrawal on reports of govt mulling community-wise mapping of COVID-19 spread pic.twitter.com/i8gmR4vi5U
— ANI (@ANI) May 11, 2020
उन्होंने कहा, ”पुलिस ने गोस्वामी से 12 घंटे तक पूछताछ की। क्या इस मामले में दर्ज एफआईआर पर पूछताछ के लिए इतने समय की जरूरत है? नहीं है। उनसे संपादकीय टीम, सामग्री और कंपनी के फंड को लेकर पुलिस ने सवाल पूछे।”
मुंबई पुलिस की मानसिकता पर सवाल उठाते हुए साल्वे ने कहा कहा कि जांच सही तरीके से नहीं हो रही है और सर्वोच्च अदालत से इस मामले को देखने की अपील की। साल्वे ने कहा, ”पैसा कहां से आया और इस तरह के अन्य सवाल गोस्वामी से पूछे गए। प्रेस की स्वतंत्रता पर इसका असर हो सकता है।”
उन्होंने पूछा, ”क्या टीवी या प्रिंट में प्रसारण या विचार को लेकर बिना किसी जांच या सुरक्षा उपाय के कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर लगाया जा सकता है? कोई दंगा नहीं हुआ है। आप एक न्यूज प्रसारण या आर्टिकल की जांच कर रहे हैं। क्या आप सीआरपीसी लगाएंगे?”
Indian Navy has set up a remote monitoring facility at Vishakha Institute of Medical Sciences, Visakhapatnam. The facility includes monitoring of all patients simultaneously or selectively as required, including zooming to one patient & an audio alarm: Indian Navy #AndhraPradesh pic.twitter.com/tt5Fym9LkI
— ANI (@ANI) May 11, 2020
दूसरी तरफ महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि अलग-अलग केसों में जांच का तरीका भी यूनीक होता है। सिब्बल ने कहा, ”आरोपी ने कहा कि उनके मौलिक अधिकारों का हनन हुआ, क्योंकि उन्हें मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करने दिया गया और उन्हें पत्रकारिता के काम में शामिल नहीं होने दिया गया। उनसे सम्मिलित रूप से सवाल पूछे गए। क्या यह उत्पीड़न है?”
5 police personnel had tested positive for #COVID19 in Bihar Military Police 14. Their contact tracing was done&77 samples were sent for testing. Their test reports have come negative. Total 15 police personnel have tested #COVID positive so far: Bihar ADG Jitendra Kumar pic.twitter.com/dLkgzflFL5
— ANI (@ANI) May 11, 2020
सिब्बल ने आगे कहा, ”इस सांप्रदायिक हिंसा और सांप्रदायिक हिंसा और सांप्रदायिका बेचना रोकिए। आपको शालीनता और नैतिकता का पालन करने की जरूरत है। यह आर्टिकल 19 का स्पष्ट उल्लंघन है। आप चीजों को सनसनीखेज बनाकर लोगों को कलंकित कर रहे हैं।”
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