नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात का जायजा लेने के लिए आज 16 विदेशी राजनयिकों का दल वहां 2 दिन के दौरे पर जा रहा है। इनमें लैटिन अमेरिका और अफ्रीका के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। सरकार ने यूरोपियन यूनियन (ईयू) के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। उनका कहना था कि वह ‘गाइडेड टूर’ के पक्ष में नहीं हैं और बाद में वहां जाएंगे। पिछले साल 5 अगस्त को सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए हटा दिया था।
विदेशी प्रतिनिधिमंडल सिविल सोसाइटी के सदस्यों और उपराज्यपाल जीसी मुर्मू से मुलाकात करेंगे। अफसरों ने बताया कि दिल्ली में मौजूद 16 विदेशी राजनयिकों का दल कश्मीर में स्थिति सामान्य करने के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों का जायजा लेगा। यूरोपियन यूनियन के राजनयिक किसी गाइडेड टूर का हिस्सा नहीं बनना चाहते। वे स्वेच्छा से चुने हुए लोगों से मिलना चाहते हैं। साथ ही वे राज्य के 3 पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक-उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती से भी मुलाकात करना चाहते हैं। ये सभी 5 अगस्त से राज्य का विशेष दर्जा खत्म होने के बाद से ही हिरासत में हैं।
अक्टूबर में ईयू प्रतिनिधिमंडल कश्मीर गया था
इससे पहले, यूरोपियन यूनियन के 25 सदस्यों के एक दल ने अक्टूबर में जम्मू-कश्मीर का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने स्थानीय लोगों से मुलाकात की थी। साथ ही सुरक्षाबलों ने उन्हें सुरक्षा स्थिति की जानकारी दी थी।
पाकिस्तान ने भारत से सभी राजनयिक संबंध खत्म किए थे
सरकार का यह कदम उस लिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटने के बाद पाकिस्तान ने गलत प्रोपेगेंडा चला रखा है। भारत ने पिछले साल 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा हटा लिया था जिसके बाद पाकिस्तान कई विदेशी मंचों पर इस मुद्दे को उछाला था। हालांकि वह इसमें सफल नहीं हुआ। पाकिस्तान ने भारत से सभी प्रकार के राजनयिक संबंध खत्म करने का फैसला लिया था।